बचपन में हम सभी ने पेड़ पर रहने वाले भूत-प्रेतों की कहानियां दादी-नानी से ख़ूब सुनी हैं, हर कहानी में पीपल के पेड़ पर किसी प्रेत या चुड़ैल का बसेरा होता था. जो भी पेड़ को नुक़सान पहुँचाता था चुड़ैल उसे मार देती थी जो पेड़ की रक्षा करता था| बचपन में हमें ये कहानियाँ पर्यावरण संरक्षण के नज़रिए से सुनाई जाती थीं, ऐसा सिर्फ़ हमारे देश में ही नहीं है| दुनिया की लगभग हर सभ्यता में इसी प्रकार की मान्यताएं प्रचलित हैं, अब पूर्वी एशियाई देश फ़िलीपींस को ही देख लीजिए, जहाँ माना जाता है कि सिर्फ़ इंसान ही प्रकृति का हिस्सा नही हैं
फ़िलीपींस विशाल जैव विविधता वाले देशों में से एक
बल्कि पशु-पक्षी, पेड़-पौधे भी इसका हिस्सा हैं | यहाँ तक कि ऐसी बहुत-सी ज़िंदगियां हैं, जो हमें नग्न आँख से नज़र नहीं आतीं, वो भी इसका हिस्सा हैं और सभी को जीने का बराबर का हक़ है इनकी रक्षा करना यहाँ के लोगों ने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है इंसान ने अपनी ख़ुदग़र्ज़ी के चलते प्रकृति के साथ इतना खिलवाड़ किया है कि अन्य जीवों के लिए रहना मुश्किल हो गया है फ़िलीपींस दुनिया के 18 विशाल जैव विविधता वाले देशों में से एक है लेकिन यहां वन्य-जीवन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जैसे नए दौर की जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयले से बिजली बनाने वाले बड़े-बड़े ऊर्जाघर बनाए गए
ऐसी प्रजातियाँ जो अब लुप्तप्राय होने पर हैं
इससे स्थानीय नदियों को नुक़सान पहुँचा, यही नहीं मुनाफ़ा कमाने के लिए वन्यजीवों का शिकार और तस्करी की भी शुरुआत हो गई कई प्रजातियाँ तो ऐसी हैं जो इंसान की करतूतों के चलते ख़ात्मे के कगार पर हैं आज फ़िलीपींस पैंगोलिन एक लुप्तप्राय प्रजाति बन गई है. फ़िलीपींस में भी ऐसा ही एक समाज है, जो प्रकृति की रक्षा के लिए लंबे समय से काम करता आ रहा है इनका विश्वास है कि लोक मान्यताएं भी प्रकृति बचाने में काफ़ी मददगार होंगी “अती” समुदाय फ़िलीपींस के आदिम निवासी माने जाते हैं इनकी मान्यता है कि आँख से नज़र आने वाले जीवों के अलावा भी हमारे आसपास ऐसी बहुत सी शक्तियाँ रहती हैं जो प्रकृति का हिस्सा हैं
खान-पान के स्रोतों की भी देखभाल
ये समुदाय उन शक्तियों को भी जीव मानता है इन्हें स्थानीय भाषा में “टैगलुगर” कहते हैं ये आदिवासी मानते हैं कि यही शक्तियाँ उनके खान-पान के स्रोतों की देखभाल करते हैं इसीलिए ये लोग अपना पेट भरने से पहले घर के एक कोने में इन शक्तियों के लिए खाना रखते हैं फ़िलीपींस के लोगों की इसी मान्यता को “मेरिइट” कहते हैं | मेरिइट मान्यता के अनुसार टैगलुगर शक्तियों के गुस्से के चलते ही धरती पर प्राकृतिक आपदाएं आती हैं इन लोगों का मानना है कि जब लोग प्रकृति के साथ बहुत ज़्यादा खिलवाड़ शुरू कर देते हैं तो ये शक्तियाँ अपना प्रकोप दिखाती हैं
फ़िलीपींस की पश्चिमी सभ्यता
जब फ़िलीपींस के लोग प्रकृति के बीच जाते हैं तो कहते हैं ‘ताबी-ताबी’ “हिलिगायोन” भाषा में इसका मतलब है ‘अनजाने में हम जिन लोगों से भी टकराएं वो हमें क्षमा करें क्योंकि हम आपको देख नहीं सकते ‘ समय के साथ फ़िलीपींस ने कई तरह की चुनोतियाँ और बदलाव देखे हैं यहाँ तक की फ़िलीपींस में विदेशी ताक़तों ने अपना पैर जमाकर यहां पश्चिमी सभ्यता और धर्म को लाद दिया इसके बावजूद स्थानीय लोगों में प्रकृति के प्रति आदर का भाव ख़त्म नहीं हुआ इस स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोगों का मानना हैं कि जंगलों में शक्तिशाली प्राकृतिक शक्तियाँ निवास करती हैं
प्रकृति का पूर्ण रूप से संरक्षण
माना जाता है इन इलाकों से गुज़रने पर अक्सर लोग हादसों का शिकार हो जाते हैं स्थानीय लोग मानते हैं कि प्रकृति को नुक़सान पहुंचाने से इंसान को बर्बादी का मुँह देखना पड़ता है जानकारों के मुताबिक़ फ़िलीपींस के स्थानीय लोगों में ये मान्यता पश्चिमी मान्यताओं के प्रभाव के कारण हैं. लेकिन जो भी हो इस मान्यता से प्रकृति का संरक्षण करने में काफी मदद मिलती है फिलीपींस के पश्चिम में देश का पहला वन्यजीव और संरक्षण पार्क “लैंबनाओ” स्थित है इसके मध्य में ही मेरिइट मान्यता वाला क्षेत्र है यहाँ वन्यजीवों के लिए बहुत सुंदर जगह बनाई गई है और उनका संरक्षण किया जाता है
फ़िलीपींस के राष्ट्रीय समुद्री अभ्यारण्य
इस पार्क में मौजूदा समय में वन्यजीवों की ऐसी 62 प्रजातियां हैं, जिनके ख़ात्मे का ख़तरा मंडरा रहा है. इनमें विसान सुअर, विसायन तेंदुआ, बिल्ली और विशेष प्रजाति के चूहे शामिल हैं. यहां ऐसे बहुत से जानवर आबाद हैं जिनकी बड़े पैमाने पर तस्करी होती थी. मेरिइट क्षेत्र सिर्फ़ ज़मीन पर ही नहीं, बल्कि समुद्र में भी बनाए गए हैं. फिलीपींस के गुइमारास द्वीप से दूर, ताकलांग द्वीप समुद्री प्राकृतिक अभ्यारण्य, एक राष्ट्रीय समुद्री अभ्यारण्य और संरक्षित क्षेत्र है. ये इलाका विभिन्न प्रकार की मछलियों की प्रजातियों के लिए प्रजनन आधार के रूप में काम करता है. ये दुनिया के प्रमुख समुद्री संरक्षित क्षेत्रों में से एक है, जो देश में समुद्री भोजन की मांग की आपूर्ति करता है
फिलीपींस का पर्यावरण और यहाँ के प्राकृतिक संसाधन
ये इलाक़ा लगभग एक हज़ार हेक्टेयर में फैला है. स्थानीय लोग इस क्षेत्र की भरपूर देखभाल करते हैं. शार्क और मोलस्क जैसी विलुप्त होती मछली की प्रजातियों की रक्षा के लिए स्थानीय समुद्री रक्षकों ने फिलीपींस के पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के विभाग से ख़ास प्रशिक्षण प्राप्त किया है स्थानीय समुद्री रक्षकों के अनुसार मछलियों की इन प्रजातियों पर लोगों का नहीं बल्कि टैगलुगार शक्तियों का अधिकार है. अगर इन शक्तियों को नुक़सान पहुंचाया जाएगा तो भुगतान स्थानीय लोगों को ही भरना पड़ेगा. मेरिइट क्षेत्रों की वकालत करने वालों का सुझाव है कि अगर लोगों को समझा दिया जाए कि इन इलाकों में जितने पेड़ लगे हैं, वो शक्तिशाली आत्माओं द्वारा लगाए गए हैं तो प्रकृति के साथ होने वाले खिलवाड़ को काफ़ी हद तक रोका जा सकता है लेकिन जानकारों का कहना है कि इन मान्यताओं का बड़े पैमाने पर बहुत असर दिखाई नहीं पड़ता. जानकारों का कहना है कि मेरिइट की मान्यता कुछ बहुत पुराने पेड़ों के साथ ही जुड़ी हैं. इसलिए लोग उन्हें नुक़सान नहीं पहुंचाते. लेकिन जो पेड़ नए हैं, उनकी बड़े पैमाने पर कटाई आज भी जारी है लिहाज़ा लोगों को मेरिइट का महत्व पर्यावरण संरक्षण के नज़रिए से भी समझाना चाहिए. साथ ही समझाना चाहिए कि पर्यावरण से खिलवाड़ हमारे अपने जीवन के साथ खिलवाड़ है