राजधानी भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज ने भारत बॉयोटेक और ICMR की देसी COVAXIN के ट्रायल का टारगेट तय समय से पहले ही पूरा कर लिया है। एक हजार लोगों को एक महीने में टीका लगना था, लेकिन पीपुल्स मेडिकल कॉलेज ने 17 दिन में ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया। हालांकि इसकी शुरुआत बेहद धीमी हुई थी, ट्रायल के लिए वॉलंटियर्स नहीं मिल रहे थे। इसके बाद पीपुल्स के ट्रायल पर सवाल भी उठ रहे थे, वॉलंटियर्स के नहीं मिलने पर प्रदेश के दो मंत्रियों मेडिकल एजुकेशन मिनिस्टर विश्वास सारंग और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने चिंता जताई थी।
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गृह मंत्री खुद वॉलंटियर बनकर ट्रायल कराने के लिए पीपुल्स मेडिकल कॉलेज पहुंच गए थे, हालांकि वह ट्रायल के क्राइटेरिया में फिट नहीं हुए और उन्हें टीका नहीं लग सका था, लेकिन इसके बाद पीपुल्स में वॉलंटियर्स की संख्या बढ़ने लगी। यही वजह रही कि पीपुल्स ने अपना टारगेट 14 दिसंबर को हासिल कर लिया। अभी 500 और वॉलंटियर्स पर ट्रायल चल रहा है। ये अतिरिक्त संख्या है तो ICMR ने पीपुल्स को दी है।
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इधर, गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) में अब COVAXIN का ट्रायल खटाई में पड़ गया है। यहां पर 3 दिसंबर को ट्रायल की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। इसका ऐलान खुद मेडिकल एजुकेशन मिनिस्टर विश्वास सारंग ने किया था। इसके बाद 14 बीत गए, लेकिन ICMR की तरफ से ट्रायल कराने को लेकर लेकर कोई कम्युनिकेशन नहीं किया गया।
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तीन हफ्ते में पूरा किया टारगेट
पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में वैक्सीन ट्रायल के लिए वॉलंटियर्स ने उत्साह दिखाया और कॉलेज ने 3 सप्ताह में टारगेट पूरा कर लिया। यहां आ रहे वॉलंटियर्स की फेहरिस्त में ब्लाइंड कपल्स, दिव्यांग और 90 साल के बुजुर्ग भी शामिल हैं। इसके साथ ही शिक्षक, भारतीय सेना के जवान, डॉक्टर्स, मजदूर जैसे समाज के सभी वर्ग के लोग हिस्सा ले रहे हैं। कोवैक्सीन का दूसरा डोज 25 दिसंबर से लगना शुरू होगा। मेडिकल कॉलेज के डीन अनिल दीक्षित का दावा है कि अब तक कोई भी एडवर्स फीडबैक नहीं मिला है, मरीजों का फॉलोअप जारी है।
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धीमी शुरुआत के बाद आई तेजी
27 नवंबर को जब को वैक्सीन ट्रॉयल शुरू हुआ था तो शुरुआत के तीन-चार दिन बहुत कम वालंटियर से आ रहे थे, पीपुल्स हॉस्पिटल के डॉक्टर्स की टीम ने वॉलंटियर्स की बहुत अच्छे से काउंसिलिंग की। इससे लोगों के बीच जागरूकता आई और उसके बाद तकरीबन हर रोज 100 से ज्यादा वॉलंटियर्स पीपुल्स हॉस्पिटल भोपाल में वैक्सीन के ट्रायल में शामिल होने पहुंचने लगे।
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वॉलंटियर्स के मोबलाइजेशन में वक्त लगा
पीपुल्स मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर राजेश कपूर ने भास्कर को बताया कि जब ट्रायल स्टार्ट हुआ तो वॉलंटियर्स कम आ रहे थे, इसकी वजह थी जागरूकता की कमी, लेकिन मोबलाइजेशन शुरू हुआ और अब हाल ये है कि हमें हर रोज 20-25 फीसदी वॉलंटियर्स को रिजेक्ट करना पड़ता है, क्योंकि वह ट्रायल की क्राइटेरिया में फिट नहीं हैं। MPCG में हम ही एकमात्र संस्थान हैं, जहां पर कोवैक्सीन का ट्रायल सफलता पूर्वक चल रहा है। हम वॉलंटियर्स की खास केयर करते हैं। उनकी काउंसिलिंग और खान-पान का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
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आर्मी मैन ने ट्रायल में भाग लेकर कहा- देश के प्रति कर्तव्य निभाया
भारतीय सेना के 28 वर्षीय जवान बताया, उसका पूरा परिवार भी भारतीय सेना से जुड़ा है, मुझे देश के दुश्मन का सफाया करने की ट्रेनिंग दी गई है, यही मेरा प्रथम दायित्व है। पिताजी ने मुझसे कहा यदि मैं वैक्सीन ट्रायल में योगदान दे सकूं तो ऐसा करके भी मातृभूमि के प्रति कर्तव्य निभा सकूंगा।
90 साल के बुजुर्ग ने कहा- यज्ञ में आहुति देने आया हूं
भोपाल के 90 साल के बुजुर्ग ने कहा कि ट्रायल में भाग लेकर मैं भी इस यज्ञ में आहुति देने आया हूं। पीपुल्स हॉस्पिटल में एक कॉल सेंटर बनाया गया है जिसमें जूनियर डॉक्टर्स की टीम जिन वॉलंटियर पर ट्रायल हो चुका है, उन्हें फोन करके फॉलोअप लेती है।
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