भोपाल: मध्य प्रदेश में नल-जल योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति का कवरेज तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी राज्य के हर घर तक यह सुविधा पूरी तरह से नहीं पहुंच पाई है। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य के 64.84% ग्रामीण घरों तक ही नल के माध्यम से जल आपूर्ति हो रही है, जबकि लगभग 35% घर अब भी इस योजना से अछूते हैं।
मध्य प्रदेश सरकार ने 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में नल-जल कनेक्शन पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। राज्य में तेजी से काम हो रहा है, लेकिन अभी भी बाकी राज्यों की तुलना में कुछ चुनौतियाँ हैं। गोवा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम जैसे 11 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में पहले ही 100% ग्रामीण घरों तक नल का पानी पहुंचाया जा चुका है, जबकि राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में यह आंकड़ा क्रमशः 52.91% और 52.30% पर अटका हुआ है।
जल जीवन मिशन की शुरुआत
2019 में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए जल जीवन मिशन का उद्देश्य 2024 तक हर ग्रामीण घर को प्रतिदिन 55 लीटर नल का पानी उपलब्ध कराना है। मध्य प्रदेश में इस योजना के तहत कार्य जारी है, और ग्रामीण घरों तक पानी की पहुँच बढ़ाने के लिए सरकार के प्रयास लगातार जारी हैं।
सामुदायिक भागीदारी पर जोर
योजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सरकार सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा दे रही है। ग्रामीण सभाओं को नल-जल कवरेज और सेवा की गुणवत्ता की निगरानी के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। गोवा, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम जैसे राज्यों ने इस मॉडल को सफलतापूर्वक अपनाया है, और अब मध्य प्रदेश भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
मध्य प्रदेश के बाढ़ और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल जीवन मिशन का विशेष प्रभाव देखा जा रहा है। राज्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए वॉश (जल, स्वच्छता और स्वच्छता) संरचनाओं का विकास किया जा रहा है, ताकि आपदाओं के समय भी स्वच्छ पानी की आपूर्ति बाधित न हो।
मध्य प्रदेश सरकार पूरी गंभीरता के साथ 2024 तक राज्य के सभी ग्रामीण घरों तक नल-जल कनेक्शन पहुंचाने के लिए काम कर रही है, जिससे लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित किया जा सके।