चमोली : उत्तराखंड के चमोली जिले में ऋषिगंगा घाटी में आई बाढ़ में मरने वालों की संख्या मंगलवार को 31 तक पहुंच गई. जबकि एनटीपीसी की क्षतिग्रस्त तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की सुरंग में फंसे 30-35 लोगों को बाहर निकालने के लिए सेना सहित कई एजेंसियों का संयुक्त बचाव और राहत अभियान युद्धस्तर पर जारी है. भारतीय सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) के जवान लगातार बचाव और राहत अभियान में जुटे हुए हैं.
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली ताजा जानकारी के अनुसार, आपदाग्रस्त क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों से कुल 31 शव बरामद हो चुके हैं. जबकि रविवार को ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ में अभी करीब 170 अन्य लोग लापता हैं. इस बीच आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर लौटे मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि सुरंग के अंदर बहुत घुमाव है जिस कारण सोमवार को अभियान में आई तेजी मंगलवार को कुछ धीमी हुई है.
एनटीपीसी की सुरंग में बचाव और राहत कार्यों के संचालन में भारी मलबे तथा उसके घुमावदार होने के कारण आ रही मुश्किलों के बावजूद उसका आधे से ज्यादा रास्ता अब तक साफ किया जा चुका है और अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही वहां फंसे लोगों से संपर्क हो सकेगा. रावत ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री बांटी जा रही है और कहीं कोई कमी नहीं है. हमारे पास पर्याप्त मात्रा में संसाधन मौजूद हैं. किसी तरह की कोई कमी नहीं है. अभी हमारे पास राहत सामग्री, औषधियां, चिकित्सक, मानव संसाधन और विशेषज्ञ मौजूद हैं.
आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों की एक संयुक्त टीम ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल कर रही है.
एसडीआरएफ ने कही यह बात
एसडीआरएफ के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक 31 व्यक्तियों के शव विभिन्न एजेंसियों द्वारा अलग-अलग स्थानों से बरामद हो चुके हैं. इसके साथ रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर एसडीआरएफ ने कहा कि उनके तलाशी दस्ते रैंणी, तपोवन, जोशीमठ, रतूडा, गौचर, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग क्षेत्रों में अलकनंदा नदी में शवों की तलाश कर रहे हैं. जबकि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के मुताबिक इस ऑपरेशन में आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों की एक संयुक्त टीम ने बचाव अभियान चलाकर ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल किया, जिससे तपोवन सुरंग के अंदर साफ की गई, ताकि बाहर निकला जा सके, लेकिन वे अभी तक सफल नहीं हुए हैं. इसके अलावा स्लश साफ करने के लिए मशीनें तैनात की गई हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में दी जानकारी
उत्तराखंड आपदा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को संसद में जानकारी देते हुए कहा, ‘उत्तराखंड सरकार ने बताया है कि अब निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा नहीं है और पानी का लेवल भी घट रहा है. ज्यादातार इलाकों में बिजली की आपूर्ति बहाल कर दी गई है. इसके अलावा पांच क्षतिग्रस्त पुलों की मरम्मत भी शुरू कर दी गई है. शाह के मुताबिक, रेस्क्यू ऑपरेशन में आईटीबीपी के 450 जवान, एनडीआरएफ की पांच टीमें, भारतीय सेना की आठ टीमें, नेवी की एक टीम, भारतीय वायुसेना के 5 हेलीकॉप्टरमें लगे हैं.
जबकि केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि अब तक 206 लोग लापता हुए हैं जिसमें से 31 के शव मिले हैं और दो की शिनाख्त हो पाई है. हमारे जवान दिन-रात काम कर रहे हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रावत लगातार उस जगह का दौरा कर रहे हैं. राहत कार्य जारी है.
रैणी गांव में 200 जवान तैनात
यही नहीं, जोशीमठ से रैणी गांव में आर्मी के 2 कॉलम यानी करीब 200 जवान तैनात किए गए हैं. जबकि 4 कॉलम यानी 400 जवान स्टैंडबाई यानी की तैयार बैठे हैं. आर्मी ने जोशीमठ में एक कंट्रोल रूम भी स्थापित कर लिया है और आर्मी एविएशन के दो चीता हेलीकॉप्टर लगातार इलाके में रैकी कर जरूरतमंद लोगों को एयरलिफ्ट कर रहे हैं. इस दौरान आर्मी की इंजीनियरिंग टास्क फोर्स भी तैनात की गई है, जो 2 जेसीबी मशीन के जरिये लगातार जोशीमठ टनल के मलबे को हटाकर उसमें फंसे लोगों को निकालने का काम कर रही है. यही नहीं, इस दौरान घायल लोगों को फील्ड हास्पिटल के जरिये तत्काल इलाज मुहैया कराकर एंबुलेंस या हेलीकॉप्टर के जरिये तत्काल एयरलिफ्ट किया जा रहा है.