भोपाल | मध्यप्रदेश में स्कूल फीस को लेकर राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने अहम निर्णय लेते हुए छात्रों को राहत दी है। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग से इसको लेकर पूरी गाइड लाइन जारी कर दी गई है। इसमें कहा गया है कि स्कूल प्रबंधन किसी भी सूरत में छात्रों से जबरन फीस नहीं ले सकता है। फीस नहीं देने पर न तो क्लास और न ही परीक्षा में बैठने से रोकेगा।
स्कूल शिक्षा विभाग को पालकों द्वारा गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालयों की फीस भुगतान और जबरन फीस वसूली संबंधी अनेक शिकायत विभिन्न माध्यमों से प्राप्त हो रही थी। पालकों की सहूलियत और विद्यार्थियों की पढ़ाई को बिना रुके जारी रखने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टर को निर्देश जारी किए हैं।
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यह निर्देश जारी किए
- अभिभावकों या छात्रों द्वारा फीस भुगतान न करने अथवा बकाया होने के आधार पर, कक्षा 9वीं से 12वीं की परीक्षा में भाग लेने से किसी भी विद्यार्थी को वंचित नहीं किया जाएगा।
- बकाया फीस के भुगतान के लिए संबंधित अभिभावक या छात्र से अंडरटेकिंग ली जाकर उन्हें परीक्षा में सम्मिलित किया जाएगा।
- निजी स्कूल प्रबंधन लंबित फीस की किस्त के भुगतान न किए जाने के आधार पर किसी भी विद्यार्थी को ऑनलाइन क्लासेस या विद्यालय में भौतिक रूप से संचालित कक्षाओं में भाग लेने से नहीं रोकेंगे।
- विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम को भी नहीं रोका जा सकेगा।
- गैर अनुदान प्राप्त निजी विद्यालय प्रबंधन शैक्षणिक सत्र 2019-20 तथा 2020-21 के लिए नियत की गई फीस अभिभावकों से ले सकेंगे।
- अभिभावक यह फीस 6 समान किस्तों में जमा कर सकेंगे, जो 5 मार्च 2021 से प्रारंभ होकर 5 अगस्त 2021 को समाप्त होगी।
- यदि किन्हीं अभिभावकों को फीस के भुगतान में कठिनाई हो रही है तो वे अपना व्यक्तिगत अभ्यावेदन संबंधित स्कूल को प्रस्तुत कर सकेंगे। विद्यालय प्रबंधन द्वारा उक्त अभ्यावेदन को सहानुभूति पूर्वक विचार कर निराकरण किया जाएगा।
- यह व्यवस्था शैक्षिक सत्र 2021-22 की फीस संग्रहण व्यवस्था को प्रभावित नहीं करेगी। इस सत्र के लिए विद्यालय प्रबंधन द्वारा सूचित एवं नियत की गई फीस को अभिभावकों को समय अनुसार भुगतान करना होगा।
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