ग्वालियर | मध्यप्रदेश हर दिन बढ़ती डीजल की कीमतों का असर अब आम आदमी पर महंगाई के रूप साफ तौर पर दिखने लगा है। खाद्य वस्तुओं की सीजनल आवक होने के बाद भी कीमतों में उछाल है। खेती की लागत बढ़ने और ट्रांसपोर्टेशन महंगा होने से एक माह के अंतराल में मसाले, दाल, तेल, खाद्यान्न 45 रुपए प्रति किलो ग्राम तक उछाल ले चुके हैं। जानकारों के अनुसार डीजल महंगा होने से सिंचाई की लागत बढ़ गई है। ट्रांसपोर्टरों ने 15 से 20 रुपए प्रति क्विंटल तक भाड़े बढ़ा दिए हैं। गौरतलब है कि सिर्फ दो महीने में डीजल के दाम 8.02 रुपए तक बढ़ चुके हैं।
ट्रांसपोर्टर सुनील माहेश्वरी के मुताबिक, डीजल महंगा होने से लंबी दूरी के भाड़े में औसतन से 20 रुपए प्रति क्विंटल का इजाफा किया गया है।
दो महीने में डीजल की कीमतें 8.02 रुपए लीटर तक बढ़ चुकी हैं। इस साल 1 जनवरी को डीजल 81.63 रुपए था, जो 4 मार्च को 89.65 रुपए हो गया है। सिंचाई, ट्रांसपोर्टेशन और उद्योग में डीजल की 80% खपत है। लागत बढ़ने से अधिकांश वस्तुएं महंगी हो गई हैं।
शहर में हल्दी आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, लालमिर्च आंध्रप्रदेश, धनियां राजस्थान, मालवा, सौंफ राजस्थान, गुजरात, काली मिर्च केरल, असम, अजवाइन मालवा, गुजरात, लौंग दिल्ली से मंगाई जाती है। दाल महाराष्ट्र, तेल मालवा और राजस्थान से मंगाए जाते हैं।
डीजल महंगा होने से किसानों को सिंचाई के साधनों पर अधिक खर्च करना पड़ रहा है। साथ ही ट्रांसपोर्टरों ने भाड़े बढ़ा दिए हैं। इस कारण अधिकांश उपभोक्ता खाद्य वस्तुओं की सीजनल आवक होने के बाद भी कीमतें काफी अधिक बढ़ चुकी हैं।