ग्वालियर: जब उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरुरी हैअगर जिंदा है तो जिंदा नजर आना जरुरी है। आज से ठीक एक साल पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया का ये बयान काफी चर्चा में रहा था। नतीजा ये रहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता से बाहर हो गई। सिंधिया के बीजेपी ज्वॉइन करने के साथ वे लगातार भगवा रंग में रंगते चले गए, जिस पर अब विरोधी सवाल उठा रहे हैं। कह रहे हैं कि सिंधिया ऐसे तो नहीं थे।
सियासत के बेहद सधे हुए खिलाड़ी है ज्योतिरादित्य सिंधिया, दल क्या बदला अब लोग कह रहे हैं सिंधिया भी बदल गए हैं। राजनीति के गलियारों में ज्योतिरादित्य की ऐसी ही कुछ तस्वीरें चर्चा में है। ज्योतिरादित्य सिंधिया कि ऐसी अनगिनत तस्वीर चर्चा में है। यूं तो किसी के मंदिर जाने पर सियासत नहीं होनी चाहिए, लेकिन फिर भी कांग्रेस को लगता है कि सिंधिया ऐसे नहीं थे। उनका ये सियासी दांव है।
ये बात भी सच है कि कांग्रेस में रहते हुए सिंधिया बीजेपी और RSS पर हमलावर नजर आते थे, लेकिन बीजेपी ज्वाइन करने के बाद बिल्कुल बदल गए। उनके भाषण और सक्रियता बीजेपी में लंबी पारी खेलने की तरफ इशारा करती है। लेकिन जब कांग्रेस उनके धार्मिक दौरों पर कांग्रेस सवाल खड़े कर रही है, तो सिंधिया ने भी बड़ी सहजता से जवाब दिया, कहा कि धर्म के साथ राजनीति को जोड़ना सही नहीं है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया संगठन की जरूरत के मुताबिक खुद को पहले से अधिक धार्मिक भी बना रहे हैं। कांग्रेस में रहते हुए उनके मंदिरों में जाने की संख्या भले ही कम दिखती हो, लेकिन अब उनके अधिकांश दौरों में मंदिरों और धार्मिक समारोह में शिरकत का कार्यक्रम भी होता है। गुना में श्रीराम की भव्य मूर्ति उन्हीं के निर्देश पर समर्थक मंत्री लगा रहे हैं, अब देखना होगा सिंधिया का ये धार्मिक कार्ड BJP के दिल में कितना जगह बना पाता है।