बिलासपुर। एक नाबालिग लड़की की प्रेगनेंसी को टर्मिनेट करने हेतु छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय ने तुरंत संज्ञान लेते हुए कलेक्टर बिलासपुर, डीन सिम्स को आदेश दिए। न्यायधिपति संजय के अग्रवाल के द्वारा तत्काल मामले की सुनवाई करते हुए मामले की गंभीरता को देखते हुए बलात्कार पीड़ित नाबालिग के स्वास्थ्य की जांच हेतु सिम्स डीन को आदेश दिया और लड़की के रहने, खाने, सुरक्षा की व्यवस्था करने का आदेश कलेक्टर बिलासपुर को दिया ।
इस मामले की आज दिनांक 16 मार्च को पुनः सुनवाई हुई। नाबालिग पीड़िता ने अधिवक्ता प्रतीक शर्मा, रजनी पांडेय, प्रकृति जैन, नीशांत भानुशाली के माध्यम से अपना प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करवाने हेतु उच्च न्यायालय में याचिका लगवाई है, जिसमें टर्मिनेशन ऑफ प्रैग्नैंसी अधिनियम की धारा 3 व नियम 9 के अनुरूप बलात्कार पीड़िता को प्रेगनेंसी टर्मिनेट कराने का अधिकार दिया गया है।
उच्चतम न्यायालय ने विस्तृत आदेश भी ऐसे मामलों के संदर्भ में पारित किया है, जिसमे मेडिकल रिपोर्ट, पीड़िता के कंसेंट और मामले की परिस्थितियों व पीड़िता के सम्पूर्ण हित को ध्यान में रखकर उच्चतम न्यायालय द्वारा आदेश पारित किया गया है। सम्पूर्ण मामले की सुनवाई के पश्चात उच्चतम न्यायालय के न्यायदृष्टांत, कानून एवं मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उच्च न्यायालय ने पीड़िता की प्रेगनेंसी सिम्स बिलासपुर में टर्मिनेट करने का आदेश जारी किया और बलात्कार पीड़िता की देखभाल और डिस्चार्ज के बाद घर तक पंहुचाने की व्यवस्था करने का आदेश कलेक्टर बिलासपुर को दिया है, साथ ही बलात्कार पीड़िता होने के कारण डीएनए टिश्यू सुरक्षित रखने का आदेश दिया है।