भोपाल: मध्य प्रदेश में एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा सिर्फ किसानों को ही मिले और बिचौलिए इसका लाभ न उठा सकें इसके लिए शिवराज सरकार तकनीक का उपयोग करने जा रही है. अब राज्य में गेहूं, धान, चना, मसूर और सरसों बेचने उपार्जन केंद्रों पर आने वाले किसानों की पहचान बायोमैट्रिक्स सिस्टम से पुख्ता की जाएगी. आधार नंबर के जरिए किसानों को वेरिफिकेशन होगा. खरीद केंद्रों पाइंट ऑफ सेल्स मशीन (पीओएस) का उपयोग भी पर किया जाएगा.
इस व्यवस्था को लागू करने के लिए राज्य नागरिक आपूर्ति निगम ई-उपार्जन पोर्टल में दर्ज किसानों के डिटेल्स प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के किसानों से मैच करवा रहा है. मध्य प्रदेश इलेक्ट्रानिक्स डेवलपमेंट कार्पोरेशन को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है. आपको बता दें कि राजधानी दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में एमएसपी का मुद्दा सबसे बड़ा है. किसान सरकार से एमएसपी पर खरीद का कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. वहीं सरकार कह रही है कि एमएसपी पर खरीद पहले की तरह जारी रहेगी.
ऐसी शिकायतें भी आ रही हैं कि एमएसपी पर खरीद का लाभ छोटे किसानों को न मिलकर आढ़तियों को मिलता है. इसमें सच्चाई भी है. छोटे किसान अपनी फसल को लेकर खरीद केंद्रों तक नहीं पहुंच पाते. आढ़तिए किसानों से उनकी फसल कम दाम में खरीदकर उपार्जन केंद्रों पर एमएसपी रेट पर बेचते हैं. इसको रोकने के लिए ही केंद्र सरकार अब एमएसपी का पैसा सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजने पर विचार कर रही है.
मध्य प्रदेश में गेहूं, धान सहित अन्य फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद बढ़ती जा रही है. पिछले साल 129 लाख टन गेहूं खरीदकर मध्य प्रदेश ने पंजाब को पीछे छोड़ दिया था. राज्य में धान की भी रिकॉर्ड खरीद एमएसपी पर हुई है. इस बीच एमएसपी पर खरीद को लेकर किसान फर्जीवाड़े का आरोप भी लगते रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं शिकायतें मिलने पर कलेक्टरों से जांच कराई थी. खाद्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार भी चाहती है कि समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीद का लाभ वास्तविक किसानों को ही मिले.
इसके लिए व्यवस्थाओं को धीरे-धीरे ऑनलाइन किया जा रहा है. किसानों को उपज का भुगतान सीधे खातों में किया जा रहा है. वहीं, पंजीकृत किसानों से ही खरीद की व्यवस्था लागू की गई है. राजस्व विभाग के गिरदावरी एप में किसान अपनी जानकारी दर्ज करता है. इसमें वह बताता है कि उसने कौन-सी फसल कितने क्षेत्र में बोई है। ई-उपार्जन व्यवस्था के तहत किसान पंजीयन कराते समय भी अपनी जानकारी देता है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लिए भी किसानों की पूरी जानकारी जुटाई गई है. अब तकनीक के सहारे बिचौलियों पर नकेल कसने का प्रयास किया जा रहा है.