ग्वालियर। कोरोना का हाल में जहां एक ओर लोग अपनी परवाह किए बिना एक दूसरे की मदद करने के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं, तो वहीं इस संक्रमण ने लोगों के अपनेपन की भी पहचान करा दी है। जिले में ऐसे सैकड़ा से ज्यादा लोगों की अस्थियां अपनों के इंतजार में है,जो ना तो उनके शवों को लेने आए और ना ही उनका रीति-रिवाज से उन्होंने दाह संस्कार किया। कोरोना महामारी का डर उनके दिलो-दिमाग पर ऐसा छाया है,कि वे अब अपनों के अंतिम दर्शन तो दूर बल्कि बेजान अस्थियों को भी अपनाने में आगे नहीं आ रहे हैं।
दरअसल ग्वालियर शहर के जयरोग्य परिसर के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में कुछ दिनों पहले तीन अलग-अलग जिलों के लोगों को कोरोना से संक्रमित होने पर मरीजों को परिजन के द्वारा उनके इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन वह कैसे हैं इसकी सुध आज तक किसी ने नहीं ली और वहां इलाज के दौरान मौत हो जाने पर दुनिया से अलविदा कह गए। मृतकों को ऐसा क्या पता था कि उनके परिजन अब उनका साथ कभी नहीं देंगे।
यहां तक कि उनके शव का भी अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। अस्पताल के डॉक्टरों ने कर्मचारियों के द्वारा उनके शवों को काफी दिनों तक संभाल कर रखा लेकिन परिजनों में से कोई उनके शवों को लेने तक नहीं आया। तब जाकर उनके अंतिम संस्कार के लिए तीनों शवों को नगर निगम को सौंप दिया। जहां मजबूरी में आखिरकार नगर निगम ने उनके तीनो शवों को ले जाकर लक्ष्मीगंज स्थित मुक्तिधाम में रिती रिवाज से अंतिम संस्कार किया।
अधिकारियों की माने तो कोरोना काल में अभी बीते 1 साल बाद तक करीब 100 से ज्यादा ऐसी शवों का दाह संस्कार किया जा चुका है जिन्हें कोई लेने ही नहीं आया निगम की ओर से उनकी अस्थिया अभी तक संभाल कर रखी गई है अधिकारियों की माने तो आने वाले किसी शुभ दिन इन सभी अस्थियों को हिंदू रीति रिवाज के साथ विसर्जित करवाया जाएगा।