ग्वालियर | मुरार केडीजे में भर्ती 26 वर्षीय आयुष श्रीवास्तव की इलाज के दौरान मौत हो गई। मौत के बाद शव लेकर स्वजन घर पहुंचे और उसके अंतिम संस्कार के लिए अर्थी तैयार कर शव को जैसे ही अर्थी पर लिटाया तो शव के चेहरे पर मुस्कान के साथ मुंह से झाग निकला। यह देख लोगों को लगा कि आयुष जिंदा है। उन्होंने तत्काल आयुष की उंगली पर पल्स मीटर लगाया तो पल्स रेट 80 बताई। स्वजनाें ने अर्थी से आयुष का शव हटाकर तत्काल केडीजे हास्पिटल लेकर पहुंचे, लेकिन वहां पर भर्ती नहीं किया तो वह बिरला, जिला अस्पताल सहित पांच अस्पतालों में लेकर पहुंचे। जब कहीं भर्ती नहीं किया तो जेएएच लेकर पहुंचे, जहां पर उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद शव को लेकर स्वजन घर ले गए और अंतिम संस्कार कर दिया।
मुरार कृष्णपुरी का रहने वाला 26 वर्षीय आयुष श्रीवास्तव मुंबई में एक निजी कंपनी में कार्यरत था। कोरोना के चलते वह घर से ही काम कर रहा था। कुछ दिन पहले उसकी तबियत खराब हुई तो स्र्द्राक्ष अस्पताल में भर्ती किया, जहां पर सीटी रिपोर्ट में फेफड़ों में संक्रमण बताया तो तीन दिन पहले उसे केडीजे अस्पताल में भर्ती कर दिया, जहां पर उसकी मंगलवार की सुबह मौत हो गई। स्वजन शव लेकर घर पहुंचे, वहां से श्मशान ले जाने के लिए अर्थी सजाई गई तो शव में हरकत देख सभी चौंक गए और आयुष में जान बाकी है
समझकर वह शहर में पांच अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचे, लेकिन कहीं इलाज नहीं मिला तब वे जेएएच पहुंचे, जहां पर उसे मृत घोषित कर दिया गया। मृतक के भाई प्रवेश ने बताया कि आयुष के चेहरे पर मुस्कान व मुंह से झाग निकला था, जांच की तो पल्स रेट भी 80 आ रही थी और सांसें भी चलने लगी थीं। तब एंबुलेंस से अस्पताल लेकर गए, लेकिन उसे मृत घोषित कर दिया। उधर डाक्टरों का कहना है कि मौत के बाद कुछ देर तक शरीर गर्म रहता है और अंदर कई रिएक्शन होते हैं, उस कारण से कई बार मुंह से झाग आने लगता है, जिससे लगता है कि मृत व्यक्ति जिंदा है, लेकिन ऐसा होता नहीं है।