ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने पिछले साल दायर एक जनहित याचिका पर नोटिस का जवाब नहीं देने पर ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया दिल्ली और कंट्रोलर फूड एंड एडमिनिस्ट्रेशन भोपाल को तलब किया है। पूर्व में दिए गए नोटिस का जवाब नहीं देने और फिर से समय मांगने पर कोर्ट ने दोनों शीर्ष अधिकारियों को तलब किया है। अब इस मामले पर 7 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई होगी।
दरअसल अधिवक्ता विभोर साहू ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के 2002 में निकाले गए एक आदेश का हवाला देते हुए कहा है ,कि एमसीआई के स्पष्ट निर्देश के बावजूद चिकित्सक जेनेरिक दवा ना लिखकर ब्रांड की दवाएं लिख रहे हैं। जिससे मरीजों पर लाखों के बिल का भार पड़ रहा है। जबकि यही बिल जेनेरिक दवाओं के माध्यम से कम हो सकते हैं। पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया एवं कंट्रोलर फूड एंड एडमिनिस्ट्रेशन को नोटिस जारी किए थे और उनसे जवाब तलब किया था। लेकिन पक्षकारों ने बार-बार कोर्ट से समय मांगा गया। दो बार कोर्ट ने समय दे दिया था। शुक्रवार को भी केंद्र और राज्य सरकार की ओर से यही कोशिश हुई। लेकिन अधिवक्ता ने यह कहते हुए विरोध किया ,कि मौजूदा दौर में जब कोरोना संक्रमण फैला हुआ है। ब्लैक फंगस नामक नई बीमारी आ गई है। इसके इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं। चिकित्सक कंपनियों के इंजेक्शन लिख रहे हैं। जिनकी कीमत हजारों में हैं।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 7 जून को होगी पेशी…
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में ब्लैक फंगस और रेमडेसीविर इंजेक्शन का उदाहरण देते हुए कहा ,कि यह इंजेक्शन चिकित्सक ड्रग के हिसाब से लिखते तो बेहद कम दाम में लोगों को उपलब्ध हो जाते। लेकिन चिकित्सक कंपनियों के नाम से दवाइयां लिख रहे हैं,जो कई मरीजों की जेब पर भारी पड़ रही है। इस पर कोर्ट ने चिंता जताई और कहा ,कि मौजूदा दौर में जेनेरिक दवाओं से लोगों को मदद पहुंचाई जा सकती है। ऐसे में 7 जून को ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया एवं मध्य प्रदेश के कंट्रोलर फूड एंड एडमिनिस्ट्रेशन बताएं ,कि चिकित्सक जेनेरिक दवाओं को क्यों नहीं लिख रहे हैं। इसमें क्या परेशानी है। अब 7 जून को वीसी के माध्यम से इस गंभीर मसले पर सुनवाई होगी।