ग्वालियर। देशभर में कोरोना संक्रमण को लेकर हुई मौतों का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। अधिवक्ता उमेश बोहरे ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि प्रदेश सरकार कोरोना संक्रमण से हुई मौतों का ब्यौरा जिलेवार हाई कोर्ट में पेश करे। इसके साथ ही मृतक परिवारों को 15-15 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए और अंतरिम राहत के तौर पर उन्हें पांच पांच लाख रुपए दिए जाएं।
जनहित याचिका में कहा गया है कि इन दिनों लोग मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए परेशान हो रहे हैं, उस पर स्पष्ट रूप से मौत का कारण नहीं लिखा जा रहा है। यदि किसी का कोरोना पाजिटिव होने के बाद हुए किसी अन्य कारण से भी मौत हुई है, तो उसमें कॉज डेथ की जगह कोरोना संक्रमण लिखा जाए। ताकि ऐसे परिवारों के कल्याण के लिए शासन द्वारा चलाई गई योजनाओं का लाभ उन्हें मिल सके।
याचिका में यह भी कहा गया है कि कोरोना संक्रमण अभी पूरी तरह से गया नहीं है, जिस तरह से अप्रैल महीने में ऑक्सीजन सिलेंडर की मारामारी हुई थी। उससे बचने के लिए प्रदेश के हर जिले में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया जाए। ताकि भविष्य में आने वाले किसी भी खतरे अथवा महामारी के समय लोगों को तत्काल सहायता मुहैया हो सके। इसके साथ ही महामारी से निपटने के लिए दवाइयों का भी भरपूर स्टॉक प्रशासन के पास उपलब्ध हो। इस बार रेमदेसीविर सहित एंफोटेरेसिन बी जैसे इंजेक्शन का जमकर ब्लैक मार्केटिंग हुआ है और लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ा है।
इसके साथ ही उन्होंने इस बात की भी जांच की मांग की है कि कोरोना संक्रमण से लोगों में ब्लैक और वाइट फंगस की शिकायतें मिल रही है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि औद्योगिक आक्सीजन का मरीजों के लिए इस्तेमाल किया गया। इस मामले की जांच होनी चाहिए। इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन से ही यह फंगस की बीमारी फैली है।
अधिवक्ता बोहरे ने याचिका को हाई कोर्ट में पेश कर दिया है, जिस पर सोमवार को सुनवाई होने की संभावना है। वही डॉक्टरों का भी मानना है कि जो फंगस का संक्रमण बढ़ रहा है, वह इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन के कारण ही बड़ा हैं।