ग्वालियर। देव गुरु ब्रहस्पति 20 जून को रविवार रात्रि 8:36 बजे कुंभ राशि मे वक्री हो जाएंगे।14 सितंबर को वापस मकर राशि मे प्रवेश करेंगे, यहां 18 अक्टूबर को मार्गी होकर 20 नवंबर को फिर से कुंभ राशि मे प्रवेश करेंगे। मकर राशि मे शनि पहले से ही वक्री चल रहे हैं, जो 11 अक्टूबर को मार्गी होंगे।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में किसी व्यक्ति की कुंडली का अध्ययन करते समय बृहस्पति की स्थिति अवश्य देखी जाती है, क्योंकि यह सर्वाधिक शुभ ग्रह होने के साथ-साथ संतान, धन तथा दांपत्य जीवन का मुख्य ग्रह है। जब सौर मंडल में बृहस्पति ग्रह अपनी परिक्रमा पथ पर आगे की ओर ना जाकर पीछे की ओर चलता हुआ प्रतीत हो तो इस स्थिति को बृहस्पति का वक्री होना कहते हैं। जब ग्रह वक्री होता है तो अधिक बलशाली हो जाता है और जब शुभ ग्रह वक्री होता है तो अच्छे फल देता है। जिस कारण गुरु अधिक बलशाली होगा और जहां रहेगा वहां लाभ देगा। गुरु ज्ञान, धर्म, संतान व विवाह का कारक ग्रह है। गुरु ग्रह के वक्री होने पर कुंभ व मकर राशि के जातकों को लाभ मिलने वाला है। जबकि इन पर साढ़े साती होने के बावजूद भी अच्छे परिणाम मिलेंगे।
कुंभ राशिः इस राशि के जातकों को धन का लाभ होगा। विवाह के योग बनेंगे। व्यापार अच्छा होगा। दाम्पत्य जीवन अच्छा रहेगा। 14 दिसंबर को जब गुरु वक्री अवस्था मे मकर राशि मे प्रवेश करेंगे तब मकर राशि जातकों की नाैकरी में परिवर्तन होगा, प्रमोशन के योग बनेंगे, भूमि, वाहन व मकान प्राप्त होंगे।