भोपाल. मध्य प्रदेश में 21जून से कोरोना टीकाकरण महाअभियान शुरू होने जा रहा है. इस महाअभियान से ठीक एक दिन पहले प्रदेश की 75 हजार से ज्यादा आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं ने हड़ताल पर जाने का एलान किया है. उन्होंने मांगे पूरी न होने पर नाराजगी जताई है. बड़ी संख्या में आशा और उषा कार्यकर्ताओं के हड़ताल पर जाने से टीकाकरण अभियान प्रभावित हो सकता है.
आशा-ऊषा सहयोगिनी कार्यकर्ता संगठन की प्रदेश अध्यक्ष विभा श्रीवास्तव ने कहा कि हम सभी 7 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार से लंबे समय से गुहार लगा रहे हैं. हमारी मांग है कि आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं को 25 दिन की जगह 30 दिन का पूरा भुगतान दिया जाए. आशा एवं सहयोगी कर्मचारियों को शासकीय कर्मचारी मान्य किया जाए. डिलीवरी के लिए 600 की जगह 1200 रुपए का भुगतान किया जाए. उन्होंने कहा कि शहरी एवं ग्रामीण आशा कार्यकर्ताओं को समान वेतन दिया जाए. आशा सहयोगिनी को 15 हज़ार औऱ आशा कार्यकर्ता को 10 हज़ार रुपए प्रति माह दिया जाए.
खड़ी हो सकती है बड़ी परेशानी
गौरतलब है कि आशा सहयोगी और आशा कार्यकर्ताओं के हड़ताल पर जाने से नियमित टीकाकरण के साथ ही कोरोना टीकाकरण महाअभियान भी प्रभावित हो सकता है. ग्रामीण इलाकों में कार्यकर्ता हितग्राहियों को जागरूक करके टीकाकरण केंद्रों तक लाने का काम कर रही हैं. गर्भवती महिलाओ और नवजात शिशुओं के टीकाकरण में कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है. इसके अलावा डिलीवरी के लिए गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्र तक लाना, आयरन-कैल्शियम की गोली पहुंचाना आदि की जिम्मेदारी भी इन्हीं कार्यकर्ताओं के पर है.
इस वजह से भी है नाराजगी
आशा-ऊषा सहयोगिनी कार्यकर्ता संगठन की प्रदेश अध्यक्ष विभा श्रीवास्तव का कहना है कि मांगे पूरी न होने तक बेमियादी हड़ताल जारी रहेगी. ये कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के उस बयान से भी नाराज हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि इनकी हड़ताल से महाअभियान प्रभावित नहीं होगा. आशा-ऊषा कार्यकर्ता शासन-प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर परिस्थिति में काम कर रही हैं. कोरोना महामारी जैसे संकट के दौर में भी 24 घंटे कार्य कर रही हैं. ऐसे में अधिकारियों को स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का मनोबल नाम बढ़ाना चाहिए. जबकि, उनका मनोबल गिराने का काम किया जा रहा है.