खर्च अधिक आने के कारण मामला अटका
भोपाल। मप्र में उपचुनाव में बैलेट पेपर से मतदान कराया जाए या नहीं, इस बारे में चुनाव आयोग जल्दी ही फैसला लेगा। आयोग ने राजनीतिक दलों से उपचुनाव के संबंध में सुझाव मांगे थे। इसकी तारीख पहले 31 जुलाई थी। बाद में इसे बढ़ाकर 11 अगस्त कर दिया गया था।
प्रदेश कांग्रेस की ओर से दोबारा मांग की गई है कि कोरोना महामारी के चलते बैलेट पेपर से मतदान कराया जाए। इसके पीछे तर्क यह था कि चूंकि ईवीएम मशीन के एक ही बटन को दबाकर कई लोग वोट करेंगे, जिससे संक्रमण का खतरा ज्यादा है।
अब यदि बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाते हैं तो उनकी छपाई का खर्च 2 करोड़ रुपए बढ़ जाएगा। वहीं भाजपा ईवीएम के जरिए मतदान कराए जाने की पक्षधर है। प्रदेश भाजपा विधि विभाग के संयोजक संतोष शर्मा का कहना है कि मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए। एक मतदान केंद्र पर 400 से ज्यादा मतदाता न हों। इसके साथ ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं का समय तय कर दिया जाए कि किस समय कौन से वार्ड के लोग वोट करने पहुंचेंगे।