भोपाल। मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लंबे मंथन के दौर के बाद अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीन वर्ष का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दौरान बुनियादी ढांचे को मजबूत कर उसे हर सूरत में आत्मनिर्भर बनाने प्रयास होंगे। सरकार अब स्थानीय ब्रांड को विश्व स्तर पर चमकाने के लिए रोडमैप तैयार करेगी। शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, रोजगार, पेयजल, पर्यटन, अधोसंरचना विकास के साथ सुशासन की दिशा में व्यापक स्तर पर कार्य किये जाएंगे, जो आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के साक्षी बनेंगे।
दरअसल हाल के दिनों में मंथन यानि वेबिनार के जरिये राष्ट्रीय स्तर पर लोगों ने भागीदारी की। जिसमें विषय विशेषज्ञों से काफी बड़ी संया में बेहतर सुझाव प्राप्त हुए हैं। मध्यप्रदेश के हित में इन महत्वपूर्ण सुझावों को रोडमेप में शामिल किया जा रहा है। रोडमेप का प्रारूप तैयार करने के लिये मंत्रियों के समूह गठित किये गये हैं। मंत्री समूह द्वारा दी गई रिपोर्ट पर नीति आयोग से विचार विमर्श कर अंतिम मोहर लगाई जाएगी। सरकार का इरादा है कि मध्य प्रदेश के उत्पाद देश दुनिया के बाजारों में अपना स्थान बनाएं। मुयमंत्री ने अधिकारियों को कार्ययोजना बनाने की हिदायत दे दी है। 31 अगस्त तक रोडमैप तैयार कर एक सितंबर से उसे लागू कर दिया जाएगा।
हालांकि इसके पहले भी मध्य प्रदेश में स्थानीय उत्पादों के विकास के लिए पहल हुई, लेकिन यह कामयाब नही हुई हैं। अब उतर प्रदेश ‘ओडीओपी‘ (वन डिस्ट्रिट, वन प्रोडट/एक जिला एक उत्पाद) की तर्ज पर शिवराज सरकार भी हर अंचल के उत्पादों को पहचान देने की कोशिश में है। बासमती चावल के जीआइ टैग को लेकर शिवराज सरकार ने सीधे पंजाब सरकार से मोर्चा खोलकर यह भी जाहिर कर दिया है। इस सिलसिले में निमाड अंचल की मशहूर मिर्च, मूंग और कपास, चंबल अंचल में सरसों और गजक, शाजापुर आगर मालवा, मंदसौर और बैतूल में संतरा, बुरहानपुर में केला, मंदसौर और नीमच में लहसुन के उत्पादन की ब्रांडिंग करने का लक्ष्य भी है। इससे स्थानीय उत्पादकों को सीधे बाजार से जोडा जाएगा ताकि उन्हें मुनाफा भी मिले और वे
दूसरो को रोजगार भी दे सकें। उद्योग स्थापित करने की प्रक्रिया को सरल बनाने का वादा भी सरकार कर चुकी है।