ग्वालियर। मध्य प्रदेश नर्सेज एसोसिएशन ने अपनी पूर्व घोषणा के मुताबिक अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। नर्सेज एसोसिएशन के पदाधिकारी अपने हॉस्टल के बाहर अस्पताल परिसर में धरने पर बैठी हैं और सरकार एवं प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी कर रही है। ग्वालियर में करीब 700 नर्सेज हड़ताल पर चली गई है। इनमें शहर की सिविल डिस्पेंसरी हजीरा सिविल डिस्पेंसरी लक्ष्मीगंज माधवगंज सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की नर्सें भी शामिल है। नर्सेस अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर 12 मई से नर्सेज हड़ताल कर रही है।
वह इससे पहले गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ समीर गुप्ता, अधीक्षक डा आरकेएस धाकड़ सहित संभागीय आयुक्त और प्रशासन को ज्ञापन दे चुकी हैं। लेकिन अभी तक उनकी मांगों पर विचार तो दूर किसी भी जनप्रतिनिधि अथवा प्रशासनिक अफसरों बातचीत करने की कोशिश भी नहीं की है। अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से आने वाले दिनों में मरीजों के लिए परेशानी बढ़ सकती है।
हालांकि अस्पताल प्रशासन का दावा है ,कि इस हड़ताल से एक गुट ने अपने आप को अलग कर लिया है। उसकी शहर के नर्सिंग कॉलेज के करीब डेढ़ सौ छात्रों की मदद से गंभीर किस्म के रोगियों की देखभाल की जा रही है। इनमें न्यूरोलॉजी न्यूरो सर्जरी, ईएनटी ,कार्डियोलॉजी, चिल्ड्रन वार्ड, गायनिक वार्ड में नर्सों की मदद ली जा रही है। यह नर्से अपने लिए उच्च स्तरीय वेतनमान स्वीकृत करने पदनाम बदलने समान काम समान वेतन स्थाई तौर पर नर्सों की भर्ती करने और कोरोना काल में ड्यूटी करने वाली नर्सेज को योद्धा के रूप में सम्मानित करने की मांग प्रमुख है। दिवंगत नर्सेज के परिजनों को नौकरी देने की भी मांग की जा रही है। इससे पहले 28 जून को नर्सेज एसोसिएशन ने सामूहिक अवकाश लिया था।
नर्सेज एसोसिएशन का कहना है ,कि वह इस बार अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं और पूरे प्रदेश के 40 जिले इस हड़ताल में शामिल हो रहे है। नर्सेज का कहना है ,कि वह प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देते देते थक चुकी हैं। इसलिए अब प्रशासन को हम लोगों की ओर ध्यान देना चाहिए। मरीजों को परेशानी नहीं हो इसलिए उन्होंने स्वेच्छा से कुछ नर्सेज को गंभीर किस्म के मरीजों की देखभाल के लिए स्वता ही भेजा है। वहीं प्रशासन ने अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि नर्सेज की मांगे उनके स्तर की नहीं है। यह शासन स्तर पर पूरी होनी है। वह शासन से लगातार संपर्क में है और हर दिन की गतिविधि से सरकार को अवगत करा रहे हैं। जहां तक वैकल्पिक व्यवस्था का सवाल है ,तो निजी नर्सिंग कॉलेज के छात्र छात्राओं और कुछ अन्य गुट के लोगों की नर्सों को लेकर मरीजों की देखभाल की जा रही है।