भोपाल | मधयप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को जिलों के लिए प्रभारी मंत्रियों की घोषणा कर दी। जिलों के बंटवारे में शिवराज ने एक ओर तो विरोधियों का दबाव अपने ऊपर से कम करने की कोशिश की है। वहीं, दूसरी तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया की पसंद का शिवराज सिंह चौहान ने पूरा ख्याल रखा है। सिंधिया के गढ़ में उनके वफादारों की ही तैनाती की गई है।
मुख्यमंत्री ने आज रात मंत्रियों को अपने निवास पर डिनर पर बुलाया है। यह निर्णय सुबह 11 बजे हुआ। सीएम हाउस से सभी मंत्रियों को दोपहर 12 बजे डिनर की सूचना भेजी गई। मंत्रियों से अनिवार्य रूप से आने को कहा गया है। मुख्यमंत्री द्वारा अचानक मंत्रियों को डिनर पर अचानक बुलाने के राजनीतिक व प्रशासनिक महकमें में मायने निकाले जा रहे हैं।
मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में 1 जुलाई से सरकारी अधिकारियों के ट्रांसफर से बैन हट रहा है। यह 31 जुलाई तक जारी रहेगा। मुख्यमंत्री समझ रहे हैं कि ट्रांसफर में पार्टी के बड़े नेताों का दबाव होगा। वे अपने प्रभाव वाले जिलों में पसंदीदा अधिकारियों की नियुक्ति की कोशिश कर सकते हैं। इसे ध्यान में रखकर उन्होंने बड़े नेताओं के करीबी मंत्रियों को ही उनके गृह जिलों का प्रभार देने की पूरी कोशिश की है।
सीएम के रूप चौथे कार्यकाल के 15 महीने बीतने के बाद शिवराज ने जिलों के बंटवारे में संतुलन साधने की हरसंभव कोशिश की। ट्रांसफर के लिए प्रभारी मंत्री की अनुशंसा अनिवार्य होने के चलते मुख्यमंत्री ने जिलों के बंटवारे के जरिए अपने ऊपर से दबाव कम करने का खास ध्यान रखा। अब मुख्यमंत्री चाहते हैं कि अधिकारियों व कर्मचारियों के ट्रांसफर पारदर्शिता से हों, इसके लिए मंत्रियों को हिदायत दे सकते हैं।
इधर, पार्टी सूत्रों के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर लगभग खत्म होने के चलते स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं। संगठन स्तर पर इसकी तैयारियां शुरु हो चुकी है। ऐसे में स्थानीय नेताओं की अपने भरोसेमंद अधिकारियों व कर्मचारियों की पोस्टिंग कराने में ज्यादा रुचि रहेगी। लेकिन मुख्यमंत्री, मंत्रियों को निर्देश दे सकते हैं कि सरकार की नीति के मुताबिक ही ट्रांसफर किए जाएं। मुख्यमंत्री, मंत्रियों को प्रभार वाले जिलों में सक्रिय रहने के निर्देश भी देेंगे।