भोपाल । मानसून की बेरूखी के चलते किसान हताश हैं। अपेक्षित बरसात नहीं होने के कारण खरीफ फसल की बोवनी पिछड़ती जा रही है। जून माह में बारिश तो हुई, लेकिन रूक-रूक कर अलग-अलग स्थानों पर पानी बरसने के कारण खेतों में पर्याप्त नमी नहीं मिल सकी है। इससे किसान फसलों को लेकर चिंतत हैं। हालांकि मौसम विज्ञानियों का कहना है कि परिस्थतियां अनुकूल होने जा रही हैं।
पांच दिन बाद मध्यप्रदेश में मानसून फिर सक्रिय होने लगेगा। आठ-नौ जुलाई से बारिश का सिलसिला शुरू हाेने के आसार हैं। किसान अभी 10 जुलाई तक बोवनी न करें। बता दें कि इस वर्ष शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे तक मध्यप्रदेश में 169.7 मिमीमीटर बारिश हुई है। जो सामान्य (146.8 मिमी.) से 16 फीसद अधिक है। हालांक खंड वर्षा होन के कारण प्रदेश के 16 जिले प्यासे हैं।मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान शनिवार सुबह तक प्रदेश के रीवा, शहडोल, जबलपुर, सागर, ग्वालियर, चंबल एवं इंदौर संभाग
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक शनिवार-रविवार को रीवा, शहडोल, जबलपुर, सागर, भोपाल, ग्वालियर एवं चंबल संभाग के जिलों में कहीं-कहीं बारिश होने की संभावना है।मानसून मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में कोई प्रभावी वेदर सिस्टम के सक्रिय नहीं होने से मानसून को ऊर्जा नहीं मिल पा रही है। मानसून ट्रफ भी हिमालय की तराई की तरफ खिसक गया है। इस वजह से मानसून शिथिल पड़ा हुआ है। सात जुलाई से मानसून की गतिविधि में कुछ तेजी आने की संभावना है। इससे रूक-रूक कर बरसात का दौर शुरू होने की संभावना है। 11-12 जुलाई को बंगाल की खाड़ी में एक कम दबाव का क्षेत्र बनने के संकेत मिले हैं। इसके बाद पूरे प्रदेश में झमाझम बारिश का दौर भी शुरू हो सकता है।