भोपाल। दिलीप कुमार साहब ने लम्बी बीमारी के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया. उनके जाने से सब गमजदा हैं. उनके लाखों करोड़ों फैन्स के लिए ये किसी सदमे से कम नहीं. लेकिन वो जाने वाला शख्स अपनी बहुत सी खूबसूरत यादें हमें दे गया है जो हमें हर पल महसूस कराएंगी कि- कलाकार कभी मरा नहीं करते.
हिन्दी सिनेमा जगत का ऐसा कौन सा फैन होगा जिसने ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार का वो गीत नहीं सुना होगा जिसमें उड़ती जुल्फों का जिक्र हो. जी हां, उड़े जब-जब जुल्फें तेरी. गांव की गोरी बनी हर दिल अजीज वैजयंती माला और तांगा चलाने वाले दिलीप कुमार का वो गीत आज भी शादियों की रौनक है. इस रौनक में चार चांद लगाए थे वहां की वादियों ने.
इसे फिल्माया गया था मध्यप्रदेश के बुदनी जंगल में. करीब 64 साल पहले ये गाना शूट हुआ और लोगों के जेहन में इस गाने की तरह वो लोकेशन भी छप गया. इस लोकेशन की कहानी बड़ी रोचक है. कहा जाता है फिल्म के डायरेक्टर बीआर चौपड़ा जब बुदनी स्टेशन से गुजर रहे थे, तो यह लोकेशन उनको भीतर तक छू गई. उन्होंने फैसला लिया कि उनका ‘नया दौर’ यहीं से रफ्तार पकड़ेगा. यानी नया दौर फिल्म की शूटिंहग यहीं पर होगी. और फिर जो हुआ उसे स्वर्णिन इतिहास कहते है.
बीआर चौपड़ा ने इस लोकेशन पर एक नहीं दो गाने फिल्माए. एक वही तांगे वाला- मांग के साथ तुम्हारा और दूसरा वही जिसका जिक्र होते ही- कंवारियों का दिल धड़कता है. यहां करीब 8 महिने तक इस फिल्म की शूटिंग हुई थी. यानी फिल्म के ज्यादातर सीन यही शूट किए गए थे. बुदनी में आज भी लोकेशन तकरीबन वैसा ही है. जो यहां आया है वो फिल्म के बैकग्राउंड में दिखने वाले पहाड़ों को देखकर समझ जाता है कि ये तो अपना एमपी है.
दिलीप साहब की पहली रंगीन फिल्म आन की आउटडोर शूटिंग भी MP में हुई. इसकी शूटिंग नरसिंहगढ़ और इसके आसपास के इलाकों में हुई थी. हालांकि यह पूरी फिल्म की शूटिंग यहां नहीं हुई, लेकिन ज्यादातर हिस्सा यहीं फिल्माया गया है. नरसिंहगढ़ के किले, रामगढ़ के जंगल, गऊघाटी के कई हिस्से ,जलमंदिर, कोटरा के साथ देवगढ़, कंतोड़ा, देखने को मिले. फिल्म को देश के पहले शोमैन मेहबूब खान ने बनाया था.
मध्यप्रदेश के CM ने किया ट्वीट
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिलीप कुमार के निधन पर शोक संवेदनाएं जाहिर की हैं. उन्होंने इसे मनोरंजन जगत के लिए अपूरणीय क्षति करार दिया है. उन्होंने लिखा है दिलीप साहब की अंदाज, नया दौर, मधुमती, मुगले आजम, विधाता, सौदागर, कर्मा जैसी अनेक फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को एक नया आयाम दिया। वे अपने आप में अभिनय की एक सम्पूर्ण संस्था थे, जिनसे आज के कलाकार अभिनय की बारीकियां सीख रहे हैं। सिनेमा जगत में उनके योगदान को कभी भुलाया न जा सकेगा।
दिलीप साहब की अंदाज, नया दौर, मधुमती, मुगले आजम, विधाता, सौदागर, कर्मा जैसी अनेक फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को एक नया आयाम दिया।
वे अपने आप में अभिनय की एक सम्पूर्ण संस्था थे, जिनसे आज के कलाकार अभिनय की बारीकियां सीख रहे हैं। सिनेमा जगत में उनके योगदान को कभी भुलाया न जा सकेगा। pic.twitter.com/wwaVqGDarc
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) July 7, 2021
दिलीप कुमार जी नहीं रहे। फ़िल्म जगत के एक युग की समाप्ति। परिवार जनों को हमारी संवेदनाएँ। उनके प्रति विनम्र श्रद्धांजलि।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) July 7, 2021
Saddened by the passing away of doyen of Indian cinema, Shri Dilip Kumar Ji. His body of work defined an era in itself that shall live on in our hearts. My condolences to his family, admirers & loved ones.
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) July 7, 2021