पन्ना : पिछले कई दिनों से बीमार चल रही दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी की तबीयत में सुधार हो रहा है. बीमार वत्सला को ठीक करने के लिए वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव गुप्ता और उनकी टीम विशेष देखभाल कर रही है और बेहतर इलाज भी किया जा रहा है. इलाज का असर भी दिखाई देने लगा है. बीते कई दिनों से खाना-पीना छोड़ देने वाली बुजुर्ग हथिनी वत्सला ने फिर से खाना पीना शुरू कर दिया है. रोचक बात ये है कि पार्क प्रबंधन वत्सला की उम्र 100 साल से अधिक होने का दावा कर रहा है.
वत्सला का 20 साल से ध्यान रख रहे वन्यप्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव गुप्ता ने भी वत्सला की उम्र सौ साल से अधिक बताई है. वत्सला को इस समय टाइगर रिजर्व के गेट के पास बने स्पेशल केज में रखा जाता है. यहीं डॉक्टर उसका इलाज करते हैं. समय समय पर उसे घुमाने के लिए बाहर भी निकाला जाता है. कुछ दिनों पहले खाना-पीना छोड़ चुकी वत्सला ने इलाज के बाद फिर से खाना शुरू कर दिया है. केज के सामने ही वत्सला के लिए खाना बनाया जाता है. डाइजेशन सिस्टम फिर से खराब न हो इसके लिए उसे पानी भी उबाल कर दिया जा रहा है. साथ ही डाइट भी सामान्य रखी जा रही है.
हथिनी वत्सला 100 साल से ज्यादा उम्र की हो चुकी है. मोतियाबिंद से अपनी आंखों की रोशनी खो चुकी हथिनी वत्सला की दुनिया अब अंधेरी हो चुकी है, उसे दिखाई देना भी बंद हो गया है. अब वह सिर्फ अपने महावत की आवाज ही पहचानती है. वन्यजीव चिकित्सक की मानें तो तीन से चार माह के भीतर यहां एक रेस्क्यू सेंटर बना दिया जाएगा. जिसके बाद बीमार वन्यजीवों का यहां लगातार उपचार किया जा सकेगा. अभी वन विभाग और डॉक्टरों की एक टीम किसी भी वन्यप्राणी के बीमार होने पर मौके पर जाकर ही उनका उपचार करती है.