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Tuesday, November 19, 2024

फतेहपुर से लापता हुआ बच्चा 30 साल बाद भोपाल में मिला, पुलिस की एहम भूमिका 

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भोपाल। परवलिया सड़क थाना पुलिस ने मानवीय संवेदना का अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। इलाके में विक्षिप्तों की तरह घूमने वाले एक अधेड़ उम्र की व्यक्ति से प्रेमपूर्वक बात की तो पता चला कि वह फतेहपुर(उत्तरप्रदेश) का रहने वाला है। पुलिस ने वहां के थाने से संपर्क किया तो पता चला कि यह 12 वर्ष की उम्र में घर से लापता हो गया था। स्वजनों को बेटे के सकुशल होने का पता चला तो उनकी आंखें भर आई। वे लोग तत्काल वहां से रवाना हुए और शुक्रवार रात को उसे साथ लेकर घर के लिए रवाना हो गए।

परवलिया सड़क थाना प्रभारी गिरीश त्रिपाठी ने बताया कि क्षेत्र में कई दिनों से एक अधेड़ व्यक्ति घूम रहा था। वह दूसरों पर आश्रित था। कभी-कभार किसी होटल में बर्तन आदि धो देता था। शुक्रवार दोपहर में डायल-100 उसे थाने लेकर आई। बिखरे बाल, बढ़ी हुई दाढ़ी वाले शख्स से उसका पता पूछा तो उसने नाम कमलेश बताया और फतेहपुर का रहने का पता बताया। उत्तरप्रदेश की भाषा बोलने पर थाने के पास रहने वाले उप्र निवासी एक व्यक्ति को बुलाया गया। इत्तेफाक से वह भी फतेहपुर का रहने वाला है। उसने कमलेश से गांव की भाषा में बात की। इसके बाद पुलिस ने फतेहपुर के थाने में संपर्क कर कमलेश के परिवार वालों के बारे में जानकारी लेने को कहा। कुछ देर में वहां से पता चला कि कमलेश यादव नाम का बच्चा ग्राम सुकेती, थाना गाजीपुर, जिला फतेहपुर से 12 वर्ष की उम्र में घर से लापता हुआ था। वहां की पुलिस ने कमलेश के भाई जगतपाल यादव का संपर्क का नंबर भी दिया। पेशे से क्षेत्र के संपन्ना किसान जगतपाल से संपर्क होते ही कमलेश की आंखों में भी अतीत की यादें ताजा हो गई।

जगतपाल वहां से सड़क मार्ग से परवलिया सड़क थाने पहुंचे और बिछुड़े भाई से लिपट गए। रात में कमलेश को लेकर वह घर के लिए रवाना हो गए। कमलेश के परिवार में माता-पिता के अलावा दो भाई और एक बहन हैं। प्रेमपूर्ण व्यवहार मिलने पर कमलेश की जैसे स्मृति लौट आई। उसने पुलिस को बताया कि वह गांव से अपने एक दोस्त के साथ बिना किसी को कुछ बताए देवास आ गया था। देवास में उन्होंने कुछ फैक्ट्रियों में काम भी किया। इसके बाद बिना बताए उसका दोस्त कहीं चला गया। वक्त की ठोकरें खाने के बाद कमलेश की मानसिक स्थिति धीरे-धीरे कमजोर हो गई थी। भटकते हुए वह भोपाल आ गया था। वर्तमान में वह दूसरों पर आश्रित रहकर जी रहा था। किसी फिल्म सी लगने वाली इस कहानी में बिछड़े बेटे को परिवार से मिलाने में टीआइ त्रिपाठी के अलावा एएसआइ हेमंतसिंह, राजूसिंह, सिपाही प्रशांत, डायल-100 के चालक राजवीर मीना का किरदार अहम रहा।

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