इंदौर :- प्रदेशभर के संचालक सिनेमाघरों को कोरोना नियमों का पालन करते हुए खोलने को तैयार हैं, लेकिन सरकार राजी नहीं हो रही हैं। संचालकों ने कह दिया है कि वे सभी नियमों का पालन करेंगे। लेकिन उन्हें टिकट दर बढ़ाने की अनुमति दी जाए। उधर, मल्टीप्लैक्स एसोसिएशन मुंबई ने भी फिलहाल फिल्में देने से इंकार कर दिया है क्योंकि सिनेमाघर की कुल क्षमता के आधी या इससे भी कम दर्शकों को प्रवेश देने से खर्च निकालना मुश्किल हो जाएगा। सिनेमाघर बंद होने से करीब एक हजार श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं और गहरे आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।
इंदौर के मल्टीप्लैक्स संचालकों ने पिछले दिनों मुंबई में एसोसिएशन के पदाधिकारियों से चर्चा की थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। पदाधिकारियों ने कहा कि कई सितारों की नई फिल्में तैयार हैं, लेकिन वो मल्टीप्लैक्स में रिलीज नहीं की जा सकती। क्योंकि कोरोना नियमों का पालन करने के तहत कुल क्षमता के आधे या इससे भी कम दर्शकों को ही प्रवेश देना पड़ेगा। टिकट दरें न बढ़ने की स्थिति में ये नुकसानदेह साबित होगा। इसके बजाय वे नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम वीडियो आदि पर फिल्म रिलीज कर रहे हैं। इससे सिनेमा व्यवसाय के प्रति खतरा बढ़ जाता हैं।
रोक दिया मल्टीप्लैक्स का निर्माण
इंदौर शहर के ज्योति टॉकीज को तोड़कर उसे मल्टीस्टोरी कॉम्पलैक्स बनाने की तैयारी थी। जिसमें पहली मंजिल पर मल्टीप्लैक्स प्रस्तावित था। लेआउट प्लॉन तैयार था और निर्माण भी शुरू होने वाला था। लेकिन कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन के दौरान अब मल्टीप्लैक्स की बदहाल स्थिति को देखते हुए, उन्होंने इस प्लॉन को निरस्त कर दिया है। इंदौर में दो और मल्टीप्लैक्स भी प्रस्तावित थे, लेकिन वो भी अब निरस्त हो गए हैं। उधर, अन्प टॉकीज को तोड़ दिया गया है और अब आस्था को भी तोड़ने की तैयारी है। ये दोनों टॉकीज हैं जो वैसे ही दर्शकों की कमी से जूझ रहे थे और अब कोरोना ने तो इन्हें लगभग खत्म ही कर दिया है। एक हजार से ज्यादा कर्मचारी बेकार सिनेमाघरों जिनमें मल्टीप्लैक्स, टॉकीज दोनों शामिल हैं, ऐसे में काम करने वाले करीब एक हजार कर्मचारी बेकार हैं। दरअसल, सिनेमा का काम ऐसा टैक्निकल है कि कहीं कोई और काम भी नहीं मिल पा रहा। कई कर्मचारी चाय-पान बेचने पर मजबूर हो गए हैं। यदि मल्टीप्लैक्स-टॉकीज चालू नहीं हुए तो उनके सामने भीरण संकट खड़ा हो जाएगा।