भोपाल। कर्नाटक में मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया है। येदियुरप्पा ने कर्नाटक सरकार के 2 साल पूरा होने के मौके पर यह ऐलान किया हैं। बीएस येदियुरप्पा ने भावुक होते हुए कहा कि उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया है। वह लंच के बाद राज्यपाल से मुलाकात करेंगे। वह लंच के बाद राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मिलकर अपना इस्तीफा सौपेंगे। दरअसल कर्नाटक में काफी समय से येदियुरप्पा के इस्तीफे की चर्चा चल रही थी। हालांकि पिछले दिनों येदियुरप्पा ने इन कयासों का खंडन किया था।
इसके साथ ही येदियुरप्पा ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि उन्हें कर्नाटक के लोगों के लिए काफी काम करना है। कर्नाटक की राजनीति को लेकर लंबे वक्त से अटकलें लग रही थीं। पिछले दिनों येदियुरप्पा ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। तब भी यह कहा जा रहा था कि येदियुरप्पा इस्तीफा सौंप देंगे। इसके बाद बीएस येदियुरप्पा ने साफ किया था कि अगर केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा तो वह इस्तीफा दे देंगे। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में जेडीएस-कांग्रेस की सरकार बनी थी। हालांकि यह सरकार एक साल ही चल पाई थी और बाद में बीजेपी ने येदियुरप्पा की अगुआई में सरकार बनाई।
इसके साथ अब कर्नाटक की राजनीति को मध्य प्रदेश से जोड़कर भी देखा जा रहा हैं। प्रदेश में भी पिछले लंबे समय से चर्चा चल रही हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पार्टी स्तीफा ले सकती हैं। लेकिन प्रदेश सरकार के कई बड़े नेता औऱ मंत्री यह भी स्प्ष्ट कर चुके हैं कि प्रदेश में शिवराज ही रहेंगे। वही दिल्ली भी मध्य प्रदेश की शिकायतें इतनी पहुँची है कि दिल्ली अब सरकार चलाने की लिए संगठन और सरकार की समिति बनाने जा रहा है।
जिस तरह से कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस की सरकार 1 साल चल पाई थी। ठीक उसी तरह मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार डेढ़ साल चल पाई और दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी। शिवराज सिंह चौहान को चौथी बार मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन अब जल्द ही डेढ़ साल बाद प्रदेश में विधानसभा के चुनाव आने वाले हैं। जिसके चलते मुख्यमंत्री बदलने की भी कयास लगाए जा रहे हैं। माना यह भी जा रहा है कि अब मध्य प्रदेश में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जगह किसी और को दी जा सकती है। इसको लेकर पहले भी कई बार राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं हुई, लेकिन प्रदेश सरकार के बड़े नेता और मंत्रियों ने इन बातों पर विराम लगा दिया था और उन्होंने कहा था कि हमारा नेता केवल शिवराज ही रहेगा।
कर्नाटक की हलचल के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने परिवार सहित उज्जैन महाकाल की शरण में पहुंचे हैं। इसे कहीं ना कहीं अब राजनीतिक समीकरण के आधार पर जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल आपको बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने परिवार सहित हर साल बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन इस बार कर्नाटक की हलचल के साथ इसे राजनीतिक समीकरण के आधार पर जोड़कर देखा जा रहा है।