मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर मंत्रियों को नसीहत दी। कैबिनेट की बैठक में उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव का निजी सचिव बताकर ट्रांसफर कराने के नाम वसूली करने जैसे मामले सामने आना ठीक नहीं हैं। ऐसे लोगों से बच कर रहें। दरअसल, प्रोफेसरों से ट्रांसफर कराने के नाम पर वसूली करने वाले एक व्यक्ति शैलेंद्र पटेल को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी खुद को मोहन यादव का निजी सचिव बताकर अफसरों और कर्मचारियों को तबादला करवाने का देता था झांसा।
इस मामले का पता तब चला, जब एक महिला प्रोफेसर ने कुछ दिन पहले उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव के निजी सचिव विजय बुदवानी से फोन पर संपर्क किया। उन्होंने अपने ट्रांसफर को लेकर बात की। प्रोफेसर ने कहा कि वह ट्रांसफर कराने के लिए शैलेंद्र पटेल को 75 हजार रुपए दे चुकी है। विजय बुदवानी ने प्रोफेसर को बताया कि शैलेंद्र नाम का कोई व्यक्ति मंत्री का कोई सचिव नहीं है। इसके बाद प्रोफेसर को धोखाधड़ी का अहसास हुआ। उधर, बुदवानी ने साइबर क्राइम पुलिस से शिकायत कर दी थी। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रियों को अपने स्टाफ से सतर्क रहना चाहिए। इससे पहले भी मंत्रियों को निर्देश दे चुके थे कि अधिकारी, कर्मचारियों के ट्रांसफर में पारदर्शिता बरतें और इसकी प्रक्रिया गाइडलाइन के मुताबिक होनी चाहिए।
उन्होंने कहा- तबादलों में गड़बड़ी करने वालों पर भी पैनी नजर बनाए रखें। मुख्यमंत्री का इशारा मंत्रियों के स्टाफ की तरफ था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोलार डैम में आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश की मंथन बैठक के दौरान मंत्रियों से कहा था कि वे अपने निजी सहायक (PA) और निजी सचिव (PS) सोच समझकर रखें। ये ऐसी जाति है, जो सरकार बदलने के साथ बदल जाती है। ये इंतजार करते रहते हैं कि कब आपके (मंत्री) पास कोई जगह खाली हो और चिकनी-चुपड़ी बातें कर अपनी नियुक्ति करा लें, इनसे सावधान रहें। वरना आप बदनाम हो जाएंगे। उस दौरान सीएम ने नायक फिल्म का उदाहरण देकर समझाइश भी थी।