ग्वालियर। निजी अस्पताल कितने संवेदनहीन हो गए हैं। इसका एक बार फिर नजारा देखने को मिला है। जहां बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली एक महिला की मौत के बाद उसके शव को इसलिए परिवार को नहीं दिया गया, क्योंकि महिला के परिवार के पास अस्पताल के दो लाख रुपए का बिल चुकाने के पैसे नहीं थे। हंगामा बढ़ता देख अस्पताल प्रबंधन ने लड़की के पिता से 50 हजार रुपये का कर्ज नामा लिखवाया है। जिसमें कहा गया है, कि वह यानी मृतका का पिता 10 दिन बाद अस्पताल आकर पचास हजार रुपये बिल के तौर पर अस्पताल प्रबंधन को चुका देगा।
दरअसल टीकमगढ़ जिले की रहने वाली यशोदा बाई को 25 जुलाई को पड़ाव चौराहे के पास स्थित केएम हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उसके सिर में बीमारी थी। जहां महिला का सिर का ऑपरेशन भी किया गया था। इस दौरान करीब सवा दो लाख रुपए का बिल दवा और अस्पताल का बन चुका था। लेकिन गरीब परिवार के पास अस्पताल का बिल भरने की हैसियत नहीं थी। महिला यशोदा के मरने के बाद जब उसके शव को परिवार के लोगों ने मांगा तो अस्पताल प्रबंधन ने पहले इलाज के पैसे चुकाने को कहा, लेकिन काफी देर तक दोनों पक्षों में विवाद होता रहा। मामला बढ़ता देख अस्पताल प्रबंधन ने बिल में से डेढ़ लाख रुपए माफ करते हुए पचास हजार का कर्ज नामा लड़की के पिता से लिखवाया है। जिसमें कहा गया है, कि वह 10 दिन बाद 50 हजार रुपए की रकम अस्पताल प्रबंधन को चुकाएगा।
मामले की सूचना पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के पास भी पहुंची है। स्वास्थ्य विभाग ने कहा है, कि इस मामले की जांच कराई जाएगी। अस्पताल प्रबंधन का कहना है, कि उन्होंने महिला के शव को देने से इनकार नहीं किया था। उन्होंने तो महिला के बिल को माफ किया है। सिर्फ 50 हज़ार रुपए देने का वादा लिखवाया है।