रायपुर। प्रदेश के 10 जिलों के 15 नगरीय निकायों में चुनाव का बिगुल बज गया है। चुनाव की घोषणा के साथ ही निर्वाचन आयोग की निगरानी भी शुरू हो गई है। आचार संहिता से लेकर प्रत्याशियों के खर्च तक पर आयोग की नजर रहेगी। कोई भी प्रत्याशि चुनाव में निर्धारित सीमा से अधिक खर्च नहीं कर सकता। इस पर नजर रखने के लिए आयोग की तरफ से निर्वाचन प्रेक्षक व व्यय प्रेक्षक की नियुक्ति की जा रही है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त कार्यालय के अनुसार पार्षद चुनाव लड़ने वालों के लिए खर्च की सीमा तय है। यह व्यवस्था 2019 में हुए निकाय चुनाव से लागू की गई है। इसके तहत नगर पंचायत में पार्षद चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशि अधिकतम 50 हजार, नगर पालिका परिषद में डेढ़ लाख रुपये तक चुनाव पर खर्च कर सकते हैं। वहीं, नगर निगमों को अलग-अलग श्रेणी में रखा गया है। वहां श्रेणी के हिसाब से पांच व तीन लाख खर्च की सीमा तय है। नामांकन दाखिल करने से पहले प्रत्याशियों को अलग बैंक खाता खुलवाना होगा। राज्य निर्वाचन आयुक्त ठाकुर राम सिंह ने बताया कि खर्च की निगरानी के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी निर्वाचन व्यय संपरीक्षक की नियुक्ति करेंगे, जो अभ्यर्थियों की व्यय लेखा की जांच करेंगे। आवश्यकता होने पर व्यय संपरीक्षक दो बार से अधिक भी जांच के लिए अभ्यर्थी को लेखा रजिस्टर के साथ बुला सकता है।
अभ्यर्थी को प्रतिदिन के अपने खर्च का हिसाब रखना होगा। नाम वापसी की तारीख से मतदान की तारीख के बीच अपने खर्च का पूरा हिसाब संपरीक्षक के सामने कम से कम दो बार प्रस्तुत करना होगा। संपरीक्षक चाहें तो किसी अभ्यार्थी के हिसाब की जांच दो बार से अधिक भी कर सकता है। आयोग ने चुनाव वाले नगरीय निकाय के क्षेत्र में लगे राजनीतिक बैनर-पोस्टर और वाल राइटिंग को हटाने का निर्देश दिया है। इस संबंध में आयोग की तरफ से संबंधित जिलों के कलेक्टरों को गुरुवार को आदेश जारी कर दिया गया है। इसमें निर्वाचन क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने और शराब के अवैध परिवहन को रोकने जांच पड़ताल करने का भी आदेश दिया गया है।