भोपाल। मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले और दूसरे चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया सोमवार से प्रारंभ हो जाएगी। अभ्यर्थियों को नामांकन पत्र के साथ शपथ पत्र देना होगा। इसमें कोई शुल्क बकाया नहीं होने संबंधी प्रमाण पत्र देना होगा। यानी विभिन्न टैक्स भुगतान के साथ बिजली के नोड्यूज भी जरूरी है। जिसके लिए सभी बिजली कंपनियां विशेष काउंटर बना रही हैं। जिस नामांकन पत्र के साथ यह प्रमाण पत्र नहीं होगा, उसे निरस्त कर दिया जाएगा। हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग ने इतनी सहूलियत दी है कि प्रमाण पत्र नामांकन पत्रों की जांच के समय तक प्रस्तुत किया जा सकता है।
मध्य प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में इस चुनाव में राज्य निर्वाचन आयोग 70 करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च करेगा। हर ब्लॉक के जनप्रतिनिधि चुनने में राज्य निर्वाचन आयोग को औसतन 22 लाख रुपए से ज्यादा राशि खर्च होगी। बता दें कि मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव में 2 करोड़ 2 लाख से अधिक मतदाता हैं। हर वोटर राज्य निर्वाचन आयोग करीब 35 रुपए खर्च करेगा। चुनाव के दौरान 6 जिलों में सबसे ज्यादा खर्च आएगा। धार, खरगोन, बालाघाट, सागर, सतना और रीवा में सबसे ज्यादा खर्च होगा. दरअसल इन जिलों में ही सबसे ज्यादा देहाती इलाके, अतिसंवेदनशील और संवेदनशील मतदान केंद्र हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव बीएस जामोद ने बताया कि अभ्यर्थी जिस पंचायत के लिए नामांकन भर रहा है, उस पंचायत से संबंधित कोई शुल्क बकाया नहीं होना का प्रमाण पत्र लगाना होगा। यह निर्वाचन की घोषणा के पूर्व के वित्तीय वर्ष तक का प्रस्तुत करना होगा। ग्राम पंचायत के लिए सचिव, जनपद पंचायत के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत और जिला पंचायत के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत द्वारा प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे। ऐसे अभ्यर्थी जिनके नाम पर कोई बिजली कनेक्शन नहीं है, उनके संबंध में विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा यह प्रमाण पत्र दिया जाएगा कि हमारा कोई बकाया नहीं है।