मध्यप्रदेश (MP) शासन ने दो से अधिक बच्चों वाले सरकारी सेवकों को सरकारी नौकरी पाने में अपात्र माना है। ज्ञात हो कि शासन ने सन् 2001, 26 जनवरी को बजट नोटीफिकेशन जारी किया था जिसमें यह आदेश जारी किया था। इसके लपेटे में जिले के एक हजार से ज्यादा शिक्षक आ रहे हैं। नियमों को ताक पर रखकर शिक्षा विभाग में नौकरी करने वाले इस श्रेणी में आने वाले शिक्षकों की रोजी रोटी दांव पर लगने वाली है।
स्कूल शिक्षा विभाग ने लिस्ट तैयार करके शासन को भेजने की तैयारी कर रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि उत्कृष्ट विद्यालय रायपुर कर्चुलियान में सीएसी पद पर पदस्थ सुलेखा सिंह ने वर्ष 2006 में संतानों की संख्या छिपाकर नौकरी की थी। बताया गया है कि नौकरी हासिल करने के बाद श्रीमती सुलेखा सिंह को दो संतानें हुई थीं जबकि इसके पूर्व दो संतानें थीं। इसकी शिकायत भी जिला शिक्षा अधिकारी रीवा को की गई है। देखना यह है कि उक्त की गई शिकायत भोपाल पहुंचती है या नही
जेडी लोक शिक्षण कार्यालय से शासन ने तीन बच्चों वाले शिक्षकों की कुल 6 जानकारियांमांगी हैं। जिसका बकायदा एक फार्मेट भेजा गया है। जिला शिक्षा अधिकारी ने प्राचार्यों और बीईओ के माध्यम से यह जानकारी जुटाकर भेजना होगा। इस जानकारी में शासकीय सेवक का नाम, पद, संस्था, नियुक्ति की तारीख और उस दौरान बच्चों की संख्या और बाद में जन्म लिए बच्चों की संख्या मांगी गई है। शासन द्वारा ऐसे शिक्षकों को नौकरी से पृथक करने की योजना बनाई जा रही है जिनकी संतानों की संख्या तीन से ज्यादा है। ताज्जुब की बात यह है कि नियुक्ति के बाद से ऐसे शिक्षक चोरी छिपे नौकरी करते आ रहे थे लेकिन जब जांच बैठी तो हजारों लोगों का नाम सामने आ गया