भोपाल।जीएसटी विभाग के नए नियम से कारोबार ज्यादा बताकर टैक्स कम चुकाने वाले मप्र के 1.10 लाख व्यापारियों के जीएसटीएन पंजीयन कभी भी निरस्त हो सकते हैं। इनमें भोपाल के 20 हजार व्यापारी हैं। दरअसल, कई व्यापारी और उद्यमी अपना कारोबार ज्यादा बताते हैं, लेकिन इस कारोबार से बन रहा टैक्स देनदारी की तुलना में कम चुकाते हैं। शेष देनदारी की टैक्स क्रेडिट ले लेते हैं।
सरकार ने गुरुवार को जारी एक नोटिफिकेशन में कहा है कि व्यापारी के मासिक कारोबार के रिटर्न (जीएसटीआर-1) और चुकाए गए टैक्स के रिटर्न (जीएसटीआर-3बी) में 10% से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए। यानी अगर बिक्री और सप्लाई की जानकारी के आधार पर व्यापारी पर 1 लाख रुपए का टैक्स बनता है तो उसे कम से कम 90 हजार रुपए का टैक्स उसी माह जमा कराना होगा। शेष 10% राशि की ही वह टैक्स क्रेडिट ले सकता है।
अगर अंतर इससे अधिक होता है तो विभाग उनके जीएसटी पंजीयन कभी भी निरस्त कर सकते हैं। विभागीय नोटिफिकेशन के अनुसार सरकार ने अभी सभी व्यापारियों को 2020-21 में रिटर्न भरे गए रिटर्न संशोधित करने को कहा है। यानी 31 मार्च तक जिन व्यापारियों के रिटर्न में यह अंतर 10 फीसदी से अधिक है। वे अपने डीआरसी-3 भरकर अतिरिक्त टैक्स जमा करा सकते हैं। मप्र के जीएसटी विभाग ने 10% से ज्यादा टैक्स न भरने वाले 1.10 लाख व्यापारियों की पहचान की है। इन सभी की जानकारी जीएसटीएन के पोर्टल में डाल दी गई है। व्यापारी खुद अपने टैक्स डिफरेंस की गणना करके उसे चुका सकता है।
जीएसटी विभाग ने गुरुवार को जारी नोटिस में साफ कर दिया है कि मासिक कारोबार के रिटर्न जीएसटीआर-1 के आधार पर जो टैक्स देनदारी बनती है, उसका कम से कम 90% टैक्स जीएसटीआर-3बी में जमा कराना अनिवार्य है। अगर अंतर इससे अधिक होता है तो व्यापारियों का जीएसटीएन में पंजीयन निरस्त हो जाएगा।