ग्वालियर। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर देशभर में शहीद दिवस मनाया गया, वहीं हिन्दू महासभा ने 30 जनवरी को “गोडसे स्मृति दिवस” के रूप में मनाया और संत कालीचरण सहित पांच लोगों को “गोडसे भारत रत्न” का सम्मान दिया। हिन्दू महासभा के “गोडसे भारत रत्न” का सम्मान पर कांग्रेस और भाजपा आमने सामने आ गई है।
महात्मा गांधी पर टिप्पणी करने वाले सन्त कालीचरण को “गोडसे भारत रत्न” सम्मान
अखिल भारत हिन्दू महासभा ने 30 जनवरी को देशभर में “गोडसे स्मृति दिवस” मनाया है। जिसमे नाथूराम गोडसे के विचारों को बढ़ावा देने वालों को “गोडसे भारत रत्न” का सम्मान दिया। ग्वालियर में हिन्दू महासभा कार्यालय में “गोडसे भारत रत्न” सम्मान समारोह आयोजित हुआ। हिन्दू महासभा ने महात्मा गांधी पर अनर्गल टिप्पणी करने वाले सन्त कालीचरण सहित पांच लोगों को “गोडसे भारत रत्न” सम्मान दिया। सन्त कालीचरण का सम्मान पत्र हिन्दू महासभा के नेता प्रमोद लोहपात्रे ने लिया। वहीं साल 2017 में नाथूराम गोडसे का मन्दिर बनाने के बाद हुए विवाद में जेल जाने वाले हिन्दुमहासभा नेताओं सहित चार लोगों को भी “गोडसे भारत रत्न” सम्मान पत्र दिए गए।
कांग्रेस विरोध में, भाजपा ने बोली- अभिव्यक्ति आज़ादी
हिन्दू महासभा के ” गोडसे भारत रत्न” सम्मान समारोह को लेकर कांग्रेस ने विरोध जताया है। हिन्दू महासभा के आयोजन पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस MLA सतीश सिकरवार ने कहा कि प्रशासन को ऐसे आयोजनों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करना चाहिए। BJP के प्रदेश अध्यक्ष VD शर्मा ने हिन्दू महासभा के आयोजन को आज़ादी की अभिव्यक्ति बताया है। शर्मा ने कहा कि कोई राह चलते सम्मान दे दें तो भारत रत्न थोड़े हो जाता है।
गोडसे ने ग्वालियर में रची थी गांधी की हत्या की साज़िश
गांधीजी की हत्या की तैयारी नाथूराम गोडसे ने ग्वालियर में ही की थी। 23 जनवरी 1948 की रात गोडसे अपने साथी नारायण आप्टे के साथ पंजाब मेल से ग्वालियर पहुंचा था गोडसे के कहने पर हिन्दू महासभा के कार्यकर्ता दण्डवते ने उनके लिए सिंधिया रियासत के सैन्य अधिकारी से मुसोलिन की सेना से जब्त विदेशी पिस्टल का 500 रूपए में सौदा किया। गोडसे ने 300 रुपए दिए बाकी रुपए काम होने के बाद देने को कहा। इस पिस्टल से गोडसे ने स्वर्णरेखा नदी के किनारे निशाना लगाने की प्रैक्टिस भी। इसके बाद 29 जनवरी की रात नाथूराम गोडसे अपने साथी आप्टे के साथ दिल्ली रवाना हो गया। 30 जनवरी 1948 की शाम 5 बजे नाथूराम गोडसे अपने साथियों करकरे और आप्टे के साथ मिलकर महात्मा गांधी को तीन गोलियां मारी थीं। महात्मा गांधी की हत्या के बाद गोडसे और उनके साथियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 15 नवंबर 1949 को जेल में नाथूराम गोडसे को फांसी दे दी गई थी।