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Monday, November 18, 2024

सीएम की इस योजना बड़ा घोटाला,जनपद CEO गिरफ्तार

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भोपाल। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में घोटाला करने वाले विदिशा जिले के सिरोंज जनपद के सीईओ शोभित त्रिपाठी को ईओडब्ल्यू ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने कोरोना काल के दौरान शादी के नाम पर फर्जीवाड़ा कर 30 करोड़ से ज्यादा का पेमेंट करा दिया था। शोभित त्रिपाठी मंत्री गोपाल भार्गव के साढ़ू हैं। विदिशा जिले की सिरोंज जनपद पंचायत में कोरोना काल में 5 हजार 923 विवाह के मामले स्वीकृत करके 30 करोड़ 18 लाख 39 हजार रुपए का पेमेंट कर दिया गया। मामला विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सिरोंज से भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा ने उठाया। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने श्रम मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह को जांच के आदेश दिए थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोटाले पर नाराजगी जताई। इसके बाद सीईओ शोभित त्रिपाठी को निलंबित कर दिया था।

 

 

एक महीने पहले राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ईओडब्ल्यू ने सीईओ समेत अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया। जांच में सामने आया कि कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन था। सार्वजनिक विवाह कार्यक्रम प्रतिबंधित थे। सिरोंज जनपद पंचायत के सीईओ ने एक अप्रैल 2020 से 30 जून 2021 के बीच 3500 हितग्राहियों को विवाह सहायता के नाम पर राशि वितरित कर दिए। 18 करोड़ 52 लाख 32 हजार रुपए निकाल लिए।

 

जिनकी पहले शादी, उनके नाम पर निकाली गई राशि

इनमें ऐसे कई लोग शामिल हैं, जिनकी शादी पहले ही हो चुकी थीं। उनके नाम पर भी सरकारी सहायता राशि निकाली गई है। यह पैसा मुख्यमंत्री विवाह योजना के अंतर्गत सरकारी निकाला गया है। मामला सामने आने के बाद शोभित त्रिपाठी को निलंबित कर दिया गया था। भवन और अन्य संनिर्माण कर्मचारी कल्याण मंडल में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को विवाह सहायता योजना में 51 हजार रुपए दिए जाते हैं। जांच एजेंसी को मिले साक्ष्य में सिरोंज में वर्ष 2019-21 के बीच 5923 शादियां की गई हैं।

 

 

सभी हितग्राहियों को 51-51 हजार रुपए वितरित किए गए हैं। EOW ने जांच शुरू की, तो इसमें सामने आया कि कोरोना काल में एसडीएम ने 3500 जोड़ों की शादियों के नाम पर सरकारी पैसा निकाला है। जांच में सामने आया कि 27 साल के युवक की तीन बेटियों की शादी करा दी गई। तीनों के नाम पर 51-51 हजार रुपए स्वीकृत कर पैसा निकाल लिया गया। कई ऐसे लोग भी सामने आए, जिन्होंने सहायता के लिए आवेदन भी नहीं दिया था। जांच एजेंसी को कई हितग्राहियों के दस्तावेज भी नहीं मिले। माना जा रहा कि घोटाला उजागर होने के बाद अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के दस्तावेज गायब कर दिए। एसडीएम के अलावा अन्य कर्मचारियों की भी भूमिका को लेकर जांच की जा रही है।

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