इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में गीले कचरे से बायो सीएनजी बनाने के संयंत्र का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 19 फरवरी को करेंगे। वे दोपहर 1 बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम में जुड़ेंगे। इस दौरान भोपाल, इंदौर के साथ ही देवास के स्वच्छता उद्यमियों से संवाद भी करेंगे। इंदौर में आयोजित होने वाले कार्यक्रम की तैयारियों की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम व्यवस्थित और उत्साह से भरा होना चाहिए, यह सुनिश्चित किया जाए।
इंदौर में प्रतिदिन लगभग 600 टन गीला कचरा घरों से निकलता है। इस कचरे से बायो सीएनजी बनाने का संयंत्र लगाया गया है। इससे प्रतिदिन लगभग 18 हजार किलो गैस बनेगी। सौ टन कम्पोस्ट खाद का उत्पादन भी होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कार्यक्रम की तैयारियों में कोई कमी न रहे। यह राष्ट्रीय स्तरीय कार्यक्रम है, जिसका बेहतर प्रचार-प्रसार किया जाए। प्रधानमंत्री से हितग्राहियों का संवाद अच्छे ढंग से हो। कार्यक्रम के दौरान संयंत्र पर निर्मित फिल्म का प्रदर्शन भी किया जाएगा। कार्यक्रम में केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य एवं पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी शामिल होंगे।सभी निकायों में होगा कार्यक्रम का सीधा प्रसारण
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी 407 नगरीय निकायों में सीधा प्रसारण किया जाए। जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव ने कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इंदौर नगर में 10 स्थानों पर कार्यक्रम से 20 हजार, प्रदेश के सभी 407 निकायों के प्रमुख स्थानों पर एलईडी के माध्यम से एक लाख, इंटरनेट मीडिया और अन्य माध्यमों से एक करोड़ से अधिक लोग सीधा प्रसारण देख सकेंगे।
इंदौर में एशिया का सबसे बड़ा बायो सीएनजी प्लांट जल्द शुरू होने जा रहा है। इस प्लांट में घरेलू गीले कचरे सब्जी, फल आदि के कचरे से बायो सीएनजी बनाई जाएगी, जिससे सैंकड़ों वाहन चलेंगे। इंदौर से प्रतिदिन 600 टन घर का गीला कचरा निकलता है, जिसे नगर निगम डोर-टू-डोर कलेक्ट कर प्रोसेसिंग के लिए ट्रेन्चिंग ग्राउंड भेजता रहा है। अब इसी कचरे से दिल्ली की कंपनी रोज करीब 18 हजार किलो बायो सीएनजी बनाएगी। यह देश का पहला और एशिया का सबसे बड़ा बायो सीएनजी प्लांट होगा। नगर निगम को सालाना करीब ढाई करोड़ की कमाई तो होगी साथ ही 50 फीसदी बायो सीएनजी नगर निगम खुद सस्ती दर पर प्लांट से खरीद कर ढाई सौ सिटी बस चलाएगा। इस प्लांट की लागत 150 करोड़ रुपये है। पीपीपी मॉडल पर इसे बनाया गया है। इसकी क्षमता 550 मीट्रिक टन की रहेगी।
नगर निगम ने इस प्लांट को जीरो वेस्ट तकनीक के आधार पर तैयार किया है। प्लांट में गीले कचरे से बायो सीएनजी व खाद तैयार की जाएगी। एक फीसद गीले कचरे में आने वाले प्लास्टिक, लकड़ी के सूखे कचरे की छंटाई के लिए अलग से प्रोसेसिंग यूनिट तैयार होगी। ट्रेचिंग ग्राउंड के बायो सीएनजी गैस प्लांट में गीले कचरे के साथ आने वाले सूखे कचरे के आने के कारण उससे खाद बनाना संभव नहीं होता है। इस तरह के कचरे का उपयोग जैविक खाद बनाने के लिए किया जाएगा। प्लांट में इसके लिए एयर डेंसिटी सेपरेटर यूनिट लगाई जाएगी। मिक्स गीले कचरे को 45 दिन तक एक यूनिट में जैविक खाद बनाने के लिए छोड़ा जाएगा। जब गीला कचरा गल जाएगा। उसके बाद प्लांट में फिल्टर के माध्यम से गीले कचरे में से ईंट-पत्थर, लकड़ी व प्लास्टिक को अलग किया जाएगा। प्लांट लगभग 150 करोड़ की लागत से ट्रेचिंग ग्राउंड में तैयार हुआ है। 16 एकड़ जमीन पर यह प्लांट बना है। इसमें लगभग 65 कर्मचारी काम करेंगे। करीब 400 सिटी बसों को प्लांट में तैयार बायो सीएनजी से चलाने की योजना है। निगम को बसों के संचालन के लिए बाजार मूल्य से पांच रुपये कम कीमत में सीएनजी मिलेगी। सौ टन खाद रोज तैयार होगी। चार रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से जैविक खाद बेची जाएगी।