भोपाल। मध्यप्रदेश में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में घोटाला उजागर होने के 4 साल बाद भी जांच अंजाम तक नहीं पहुंच पाई है। इस दौरान एक नहीं, बल्कि 6 बार अलग-अलग टीमों ने जांच की, लेकिन सभी ने आरोपियों को क्लीन चिट दे दी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने साल 2018 में जब पोषण आहार में गड़बड़ी पकड़ी थी, तब यह घोटाला सामने आया था।
उस समय सिर्फ भोपाल और रायसेन जिले में 9 बाल विकास परियोजना अधिकारियों और 5 लिपिकों पर 6 करोड़ रुपए के गबन का आरोप लगा था। जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था, लेकिन जांच आगे बढ़ी तो 14 और जिलों में घोटाला होने के सबूत मिले, लेकिन आरोपियों पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।
इस मामले में जब मुख्यमंत्री कार्यालय ने पिछले साल सितंबर माह में जांच रिपोर्ट तलब की तो आनन-फानन में 94 अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ भोपाल के जहांगीराबाद थाने में FIR दर्ज कराई गई। अब तक सिर्फ 4 परियोजना अधिकारियों के खिलाफ जांच पूरी हो पाई है। इसमें से दो अधिकारी राहुल चंदेल और कीर्ति अग्रवाल को बर्खास्त करने की मंजूरी 2 जनवरी 2022 को MPPSC से ली गई, लेकिन एक महीने बाद भी आगे कार्रवाई नहीं हुई।