भोपाल। मध्यप्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने में अभी समय लगेगा। राज्य सकरार स्पष्ट कर चुकी है कि चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे। बीजेपी और कांग्रेस पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण के पक्षधर है। वहीं आरक्षण लागू करने से पहले ओबीसी आबादी की संख्या स्पष्ट करना होगा। लेकिन अब तक मप्र में ओबीसी आबादी की गणना नहीं हो सकी है। इसकी राज्य स्तरीय रिपोर्ट के आधार पर पंचायत चुनाव का यह पेंच खत्म हो सकता है। अभी यह रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकी है।
आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन का कहना है कि अभी ग्रामीण क्षेत्र की जानकारी प्राप्त की गई थी। जिलों से अभी भी आंकड़े प्राप्त ही हो रहे हैं। परिसीमन का कार्य चल रहा है। गणना होने पर सरकार को रिपोर्ट दी जाएगी। आयोग द्वारा जिला स्तर पर बैठक की गईं। ताकि जल्द से जल्द आंकड़े जुटाए जा सकें। बावजूद इसके गणना पूरी नहीं हो सकी है।
मध्यप्रदेश अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग जिलावार ओबीसी वर्ग की गणना कर रहा है। सभी जिलों की जानकारी आ चुकी है। लेकिन कुछ जिले अभी भी ऐसे हैं जिनके ग्रामीण क्षेत्रों से जानकारी नहीं आ सकी है। वे जानकारी अभी भी भेजते जा रहे हैं। स्पष्ट गणना के लिए टेबुलेशन का कार्य जारी है। वहीं जिन जिलों से पूरी जानकारी आ चुकी है। कहीं त्रूटियां होने की आशंका होने पर क्रॉस चेकिंग कर सुधार भी किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की इन गाइडलाइन करना होगा पालन
पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का भी पालन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में कहा है कि इसके लिए राज्य सरकार को ट्रिपल टेस्ट करना होगा। यानी पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने से पहले उनकी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन करना होगा।
यह है ट्रिपल टेस्ट
राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की कठोर जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना।
आयोग की सिफारिशों के मुताबिक स्थानीय निकाय-वार प्रावधान किए जाने के लिए आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि अधिकता का भ्रम न हो।
किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण अनुसूचित जाति/
अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50% से अधिक नहीं होगा।