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Sunday, November 17, 2024

MP में गूंजेगी अफ्रीकन चीतों की गुर्राहट, इस नेशनल पार्क में लाने की तैयारी शुरू

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भोपाल। मध्यप्रदेश में अफ्रीकन चीतों की गुर्राहट जल्द सुनने को मिल सकती है। 20 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में लाने की फाइल आगे बढ़ चुकी है। प्रदेश के अफसरों की एक टीम दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया भी गई है, जो 25 फरवरी की रात लौटेगी। संभावना है कि मार्च या अप्रैल में चीते कूनो पार्क में लाए जा सकते हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) जसबीर सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल 17 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया रवाना हुआ था।

 

 

प्रतिनिधिमंडल चीता प्रोजेक्ट के बारे में वहां के अधिकारियों से चर्चा कर रहा है। यह चर्चा 24 फरवरी तक जारी रहेगी। 25 फरवरी की रात में टीम भोपाल लौट आएगी। चीतों को देश में लाने के लिए करीब 3 साल से प्रोजेक्ट चल रहा है। वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को इसकी मंजूरी दी थी। प्रयोग के लिए अफ्रीकन चीते भारत के जंगलों में लाए जाएंगे। वर्ष 2021 में प्रोजेक्ट ने फिर रफ्तार पकड़ी थी। पहले एमपी सरकार राज्य के स्थापना दिवस यानी 1 नवंबर को चीतों को कूनो नेशनल पार्क में लाना चाहती थी, लेकिन केंद्र सरकार से तारीख नहीं मिल पाई थी। इस कारण मामला अटक गया था। अब इसकी फाइल फिर से आगे बढ़ी है।

 

 

श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका से 20 चीते लाने का प्लान है। पिछले साल अगस्त में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चीतों को भारत लाने की तैयारी को लेकर केंद्रीय श्रम एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से भी चर्चा की थी। दो चरण में 10 नर और 10 मादा चीते कूनो नेशनल पार्क में शिफ्ट कराने का प्लान है। वन विभाग के अनुसार 20 अफ्रीकी चीते दक्षिण अफ्रीका से ग्वालियर लाए जाएंगे। फिर यहां से सड़क मार्ग के जरिए इन्हें कूनो राष्ट्रीय पार्क ले जाया जाएगा। 5 साल तक इनके रखरखाव पर 75 करोड़ रुपए खर्च होंगे। मार्च 2021 में एक्सपर्ट्स की टीम ने कूनो का सर्वेक्षण किया था। उन्होंने रिपोर्ट में कहा था कि चीतों को यहां रखा जा सकता है। कूनो पार्क को इस हिसाब से तैयार किया गया है। सीएम शिवराज सिंह चौहान भी प्रोजेक्ट पर मीटिंग कर चुके हैं। कूनो राष्ट्रीय पार्क 750 वर्ग किलोमीटर में फैला है। कूनो के अलावा 1200 किलोमीटर में फैले नौरादेही अभयारण को भी चीतों के लिए अनुकूल माना गया था, लेकिन कूनो को ज्यादा अनुकूल माना गया। राजस्थान में चीतों के लिए गांधी सागर-चित्तौड़गढ़-भैंसरोदगढ़ अभयारण का भी सर्वेक्षण किया गया था। कूनो को पहले गिर से शेर लाने के लिए चुना गया था

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