भोपाल। मध्य प्रदेश में पहली बार किसी भी किसान को एक हजार रुपये से कम का फसल बीमा नहीं मिलेगा। यदि किसी किसान के खातें में एक हजार रुपये से कम फसल बीमा की राशि अंतरित भी कर दी गई है तो उसका भुगतान नहीं होगा। सरकार अंतर की राशि मिलाकर न्यूनतम एक हजार रुपये का बीमा देगा। इसके लिए कृषि विभाग ने बीमा कंपनियों से ऐसे किसानों की सूची मांगी है, जिनका बीमा दावा एक हजार रुपये से कम बना है। कंपनियों ने प्रारंभिक तौर पर बताया है कि इस श्रेणी में आने वाले किसानों की संख्या लगभग एक लाख है। विभागीय अधिकारियों का आकलन है कि सरकार को 28 करोड़ रुपये अपनी ओर से अंतर की राशि मिलानी होगी।
प्रदेश में पिछले साल खरीफ की फसल बड़े क्षेत्र में अतिवर्षा से प्रभावित हुई थी। किसानों को सहायता पहुंचाने के लिए सरकार ने केंद्र सरकार से अनुरोध करके बीमा पोर्टल खुलवाकर पंजीयन कराया। प्रीमियम राशि जमा करने के लिए रविवार को बैंकों की शाखाएं खुलवाई गई थीं। इसका लाभ यह हुआ कि करीब 44 लाख किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में पंजीयन हुआ। खरीफ 2020 और रबी 2020-21 में फसलों को हुए नुकसान के लिए 49 लाख 85 हजार 24 किसानों को सात हजार 618 करोड़ रुपये से अधिक का बीमा स्वीकृत हुआ है।
12 फरवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैतूल में आयोजित कार्यक्रम में सिंगल क्लिक के माध्यम से किसानों के खातों में बीमा राशि जमा कराने की शुरुआत की थी। जिन बैंक शाखाओं ने आइएफएससी कोड या बैंक खाते का नंबर गलत दर्ज किया, उन्हें छोड़कर बाकी किसानों के खातों में राशि जमा हो गई है। हालांकि, सहकारी बैंकों द्वारा अपने ऋण का समायोजन फसल बीमा की राशि से किया जा रहा है, जिसको लेकर किसानों में नाराजगी है।
वहीं, उन किसानों का फसल बीमा का भुगतान रुकवा दिया गया है, जिनका बीमा दावा एक हजार रुपये से कम बना है। दरअसल, सरकार ने तय किया है कि इस बार से किसी भी किसान को एक हजार रुपये से कम फसल बीमा नहीं दिया जाएगा। इसके लिए कृषि विभाग अपने बजट से अंतर की राशि मिलाकर किसान को भुगतान करेगा। प्रारंभिक आकलन के अनुसार लगभग 28 करोड़ रुपये अंतर की राशि सरकार को देनी होगी।