मध्यप्रदेश में यह पहला मौका है, जब एक साथ 27 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने जा रहे हैं, इसके साथ यह भी पहली बार ही हो रहा है कि प्रदेश के दोनों प्रमुख दल इन चुनावों को आम विधानसभा चुनाव की तरह लड़ने की पूरी तैयारी कर रहे हैं। यही वजह है कि पहली बार उपचुनाव के लिए दोनों ही दलों द्वारा चुनावी घोषणा पत्र भी जारी किए जाने की तैयारी की जा रही है। यह बात अलग है कि भाजपा ने इसे विजन नाम देना तय किया है तो कांग्रेस उसे संकल्प पत्र के नाम से पेश करने जा रही है। प्रदेश में इस तरह के चुनावी घोषणा पत्र जारी करने की पंरपरा आम चुनाव मे ही रही है। दोनों ही दल इसमें अलग-अलग विधानसभा के हिसाब से वादे करने के साथ ही उनकी सरकारों में आमजन के लिए किए गए फैसलों का भी उल्लेख करने जा रहे हैं। भाजपा द्वारा जो विजन बनाया जा रहा है उसमें कांग्रेस के 15 माह और भाजपा के छह माह की तुलना की जाना तय है। इसी तरह से भाजपा उपुचनाव वाले इलाके की प्रमुख समस्याओं और वहां के लिए विकास का खाका भी इसमें सामने रखेगी।
उपचुनाव में बीजेपी को सबक सिखाएगी कांग्रेस
खास बात यह है कि इसमें कांग्रेस के 15 साल के कार्यकाल की उपलब्धियों का भी उल्लेख रहेगा। गौरतलब है कि यह उपचुनाव भाजपा के साथ ही कांग्रेस के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। कांग्रेस अगर जीत हासिल करती है तो उसके लिए सत्ता के दरवाजे खुल सकते हैं और भाजपा को जीत हासिल होती है तो उसकी शिव सरकार पूरी तरह से मजबूत हो जाएगी। कांग्रेस उपचुनाव में जीत हासिल कर बागियों को सबक सिखाकर उनसे सरकार गिराने का बदला लेना चाहती है तो वहीं भाजपा सरकार को मजबूत सिथति में पहुंचाकर कांग्रेस को कमजोर करना चाहती है।
लोगो से ले रहे सुझाव
भाजपा के संभावित प्रत्याशी इसमें स्थानीय मुद्दों को महत्व दे रहे हैं। इसमें विकास कार्यों के साथ ही अन्य काम भी शामिल हैं। उधर कांग्रेस द्वारा अलग-अलग विधानसभा के हिसाब से संकल्प पत्र पेश करने की तैयारी की जा रही है। खास बात यह है कि इसके लिए स्थानीय कार्यकर्ताओं से लेकर मतदाताओं से भी सुझाव लिए जा रहे हैं। इसी तरह का प्रयोग कांग्रेस बीते आम विधानसभा चुनाव में भी कर चुकी है। उस समय पार्टी के घोषणा पत्र को वचन पत्र का नाम दिया गया था। इसके बनाने के काम की निगरानी स्वयं कमलनाथ कर रहे हैं।