सीहोर। रूस और यूक्रेन युद्ध का असर भारत में भी देखने को मिल रहा है और गेहूं के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका कारण ये है कि ये दोनों ही देश गेहूं के बड़े निर्यातक हैं। इसी के चलते यूरोप के देशों में गेहूं की डिमांड बढ़ी है। नतीजा यह कि भारत के गेहूं का निर्यात तेजी से होना शुरू हो गया और किसानों को उनकी उपज के अच्छे दाम मिलना शुरू हो गए। जो गेहूं पहले 1800 रुपए प्रति क्विंटल तक बिकता था, वह मंडी में 2100 से 2400 रुपए तक बिक रहा है।
शरबती गेहूं के दाम 4000 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा ही चल रहे हैं। जबकि समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल है। जैसे-जैसे फसल कटाई होती जा रही है, वैसे ही तुरंत उपज बिकती जा रही है। ये माल गुजरात के कांडला पोर्ट पर जा रहा है, जहां से यूरोपीय देशों में निर्यात हो रहा है। हालात ये हैं कि माल ले जाने के लिए वाहन नहीं मिल रहे हैं।
भोपाल संभाग के 6 जिलों की 8 मंडियों की पड़ताल की तो सामने आया कि यहां की मंडियों में 8 दिनों में 3 लाख 50 हजार 838 क्विंटल गेहूं की खरीदी हुई है, जिसकी कीमत 82 करोड़, 54 लाख रुपए है। यही नहीं सरकार ने गोदामों में पिछले साल जो गेहूं रख रखा था वह भी अभी तक 8.50 लाख टन बिक चुका है।
सात्विक एग्रो फूड इंडस्ट्रीज प्रा. लि. के एमडी विकास जैन ने बताया कि रूस और यूक्रेन पूरी डिमांड का करीब 30 प्रतिशत गेहूं एक्सपोर्ट करते हैं। इसलिए अब भारत से गेहूं की डिमांड बढ़ी है। यही कारण है कि मंडियों में भारी आवक हो रही है। इस समय जिले में कई कंपनियां गेहूं की खरीदी का काम कर रही हैं। दतिया के गल्ला व्यापारी संघ अध्यक्ष वल्लभ अग्रवाल के अनुसार गेहूं के रेट 2800 रुपए तक पहुंच सकते हैं।