MP को पेट्रोल बम से उड़ने वाले थे आतंकी, आतंकियों के तार कोलकाता से जुड़े

भोपाल। भोपाल में गिरफ्तार किए गए जमात-ए-मुजाहदीन बांग्लादेश (JMB) के आतंकियों को कोलकाता से फंडिंग हो रही थी। ATS इन्हें फंडिंग करने वालों की तलाश के लिए कोलाकात गई है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि जांच एजेंसी को आतंकियों के पास से पेट्रोल बम बनाने के वीडियो मिले हैं। लोकल के दो लोगों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

 

उधर, इन आतंकियों को ऐशबाग में किराए पर मकान दिलाने वाले सलमान और उसका परिवार दो दिन से गायब है। वहां ताला लगा मिला। पड़ोसियों ने बताया कि सलमान रविवार से नहीं दिखाई दिया। पेशे से कंप्यूटर मैकेनिक सलमान इन दिनों फूड डिलीवरी का काम करता है। जिस घर से आतंकी पकड़ाए थे, वहां से एक किलोमीटर दूर बाग फरहत अफजा में उसका घर है। पड़ोसियों का कहना है कि सलमान का भाई घर पर ही कोचिंग सेंटर चलाता है। वो अपने समाज के पहली से दसवीं तक के छात्रों को कोचिंग देता है। वह आलिम की तालीम भी देता है। ATS अब यह जांच कर रही है कि कहीं आतंकी भी आलिम की तालीम लेने सलमान के भाई के पास तो नहीं जाते थे। सूत्रों की मानें तो ATS सलमान से पूछताछ कर रही है।

 

जहां सलमान ने दिलाया मकान, वहां किराया बाकी

मकान मालकिन नायाब जहां सलमान को सीधे तौर पर नहीं जानती थीं। जब नायाब जहां का कंप्यूटर खराब हुआ तो उनकी पड़ोसन के बेटे ने सलमान को बुलाया था। नायाब जहां की मानें तो उसने कहा कि दो लड़के किराए के मकान की तलाश में हैं। दोनों ही आलिम की शिक्षा हासिल कर रहे हैं। नायाब जहां का कहना है कि उनकी छोटी बेटी रूमाना की तबीयत खराब रहती है, ऐसे में उन्हें पैसे की जरूरत थी। इसलिए उन्होंने अपने घर की पहली मंजिल का रूम दोनों लड़कों को 3500 रुपए महीने के हिसाब से किराए पर दे दिया। दोनों लड़के लगभग तीन महीने से मकान में रह रहे थे, उनका दो महीने का किराया भी बकाया है। महिला के मुताबिक जब भी वो दोनों लड़कों से उनकी पहचान के दस्तावेज मांगती थी, तो वे बात ये कहकर टाल देते थे कि घर जाकर आधार कार्ड ला देंगे। इसी के चलते किरायानामा नहीं बन पाया। आतंकियों के पास जो जिहादी साहित्य मिला है, वो अधिकतर डिजिटल फॉर्म में है। इसी के आधार पर उन्होंने किताबें छापी हैं। आतंकियों ने पूछताछ में कबूला कि उन्होंने भोपाल में जेहादी लिटरेचर को छापने के लिए प्रकाशकों से संपर्क किया था, लेकिन कंटेंट देखकर प्रकाशकों ने किताबें छापने से मना कर दिया। ऐसे में प्रिंटिंग बाइंडिंग से जुड़े उपकरण खरीद लाए। यह काम खुद करने लगे।

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