ग्वालियर । गर्मी दस्तक दे चुकी है। सूरज ने आग उगलना शुरू कर दिया है। गर्मी के इन्ही तीखे तेवरों के बीच अब जिले के 500 गांवों की 93 आदिवासी बस्तियों में एक बार फिर जल संकट शुरू हो चुका हैं। हैरानी की बात ये है कि हर साल पीएचई के जरिए ग्रामीण क्षेत्र में 100 से ज्यादा नलकूपों का खनन किया जाता है। एक से डेढ़ हजार फुट राइजर पाइप डालने का बिल भी बनाया जाता है। नलकूप खनन और राइजर पाइप डालने के बिल बनने का यह काम लगभग हर साल होता है।
इसके बाद भी हैंडपंपों में पानी नहीं रहता। यही कारण है कि बीते दिनों चीनोर क्षेत्र में काम करने वाले पीएचई के ठेकेदार पर एफआईआर करने के आदेश कलेक्टर ने दिए थे। खैर, पथरीले क्षेत्र में बसी जिले की इन आदिवासी बस्तियों से लेकर घाटीगांव क्षेत्र की 20 बस्तियों में भी जल संकट की आहट दिखने लगी है, लेकिन सरकारी बजट मिलने के बाद भी इन बस्तियों में ग्रामीणों के घर तक पेयजल की सुविधा नहीं पंहुच पाई है।1523 बस्तियों में पेयजल पंहुचाने शुरू हुआ था काम बीते साल ग्वालियर व चंबल संभाग की 1523 बस्तियों में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए काम शुरू किए गए थे।
इनमें से 153 बस्तियों में बाढ़ आने से पहले काम कराने का दावा किया गया था। इनमें से ग्वालियर संभाग की 1072 बस्तियों में और चंबल संभाग की 451 अदिवासी बस्तियों में पेयजल प्रबंधन के लिए काम कराने का दावा किया गया था। ग्वालियर जिले के 93 गांवों में सबसे पहले काम कराना था, इन गांवों में काम कराने के लिए राशि भी आवंटित हुई, लेकिन लोगों के घरों तक पेयजल अभी भी नहीं पहुंचा।