ग्वालियर :- मध्य प्रदेश की राजनीती में उथल पुथल मची हुई हैं। राजनितिक दलों की निगाहे प्रदेश में होने वाले 27 सीटों के उपचुनाव पर टिकी हुई हैं। इन 27 सीटों के उपचुनाव में ग्वालियर-चम्बल की अहम भूमिका हैं, क्योंकि अंचल में 16 सीटों पर उपचुनाव होना हैं। वही ग्वालियर-चम्बल के कद्दावर भाजपा नेता डॉ. सतीश सिंह सिकरवार ( Satish Sikarwar ) कांग्रेस में शामिल होने भोपाल के लिए रवाना हो गए हैं। भोपाल में पहुंचकर मंगलवार को सुबह 10.30 बजे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के समक्ष कांग्रेस की सदस्यता लेेंगे। इसके लिए लगभग दो सौ गाडिय़ों के काफिले के साथ भोपाल रवाना हो गए हैं।
वही प्रदेश में राजनीतिक परिस्थितियों के बदलने और ज्योतिरादित्य सिंधिया के अचानक 22 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ जाने पर अब इन विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव होना है। जिसमें ग्वालियर पूर्व से भाजपा से मुन्नालाल गोयल चुनाव लड़ेंगेे। बस यही बात डॉ. सतीश सिकरवार के लिए एक बार फिर विधायक बनने का सपना सच साबित करने वाली लग रही है। यही कारण है कि वे पिछले लंबे समय से भाजपा से पूरी तरह कटे हुए हैं। वह इसलिए क्योंकि ग्वालियर में पार्टी के कई कार्यक्रम हुए लेकिन वह कही दिखाई नहीं दिए।
दरअसल वे ग्वालियर पूर्व से स्वयं अथवा जौरा से छोटे भाई डॉ. सत्यपाल सिंह सिकरवार का टिकट चाहते हैं। इसके लिए उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भोपाल और ग्वालियर में हो चुकी है। संभवत: पूरी तरह से आश्वासन नहीं मिलने से डगमगाए डॉ. सतीश सिकरवार ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी मुलाकात की हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से उनकी दो से तीन बार मुलाकातें हो चुकी हैं। जिसमें प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत मध्यस्थ रहे। अब जब उप-चुनाव पूरी तरह सिर पर हैं और कमलनाथ के सर्वे में ग्वालियर पूर्व से कांग्रेस का कोई प्रत्याशी इतना दमदार नहीं दिखाई दे रहा जो मुन्नालाल गोयल का मुकाबला कर सके। इसे देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, वरिष्ठ नेता डॉ. गोविन्द सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह आदि से सलाह-मशविरे के बाद प्रदेश कांग्रेस द्वारा डॉ. सतीश सिकरवार के लिए कांग्रेस में प्रवेश के रास्ते खोल दिए गए हैं। इसमें उनके बचपन के मित्र सिंधिया के खास रहे कांग्रेस के प्रदेश सचिव अलबेल सिंह घुरैया की मुख्य भूमिका मानी जा रही है। जिन्होंने बचपन की दोस्ती निभाते हुए डॉ. सिकरवार के लिए कांग्रेस में आने की राह आसान कराई।
डॉ. सतीश सिंह सिकरवार बीजेपी में रह कर उन्होंने पार्टी के लिए बहुत काम किया और अपने समर्थको को भी बीजेपी में शामिल कराया। उन्होंने लॉकडाउन में लगभग 60 हजार लोगो को राशन वितरण कराया यह तक की उन्होंने पार्टी के लिए तन मन धन से काम किया। उन्हें पार्टी से पूरी उम्मीद थी की उन्हें कोई पद दिया जायेगा। लेकिन अफ़सोस है की उन्हें कोई पद नहीं दिया गया। उनको पद देना तो दूर की बात है बीजेपी ने उन्हें दर किनारे कर दिया, उनके किये कार्यो को भी मिट्टी में मिला दिया। बीजेपी से निराश होकर अब वो कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं।
आपको बतादें कि डॉ. सतीश सिकरवार का समूचा परिवार भाजपा में है। उनके पिता गजराज सिंह सिकरवार और छोटे भाई डॉ. सत्यपाल सिंह सिकरवार (नीटू) सुमावली से विधायक रह चुके हैं। जबकि वह स्वयं तीन बार और उनकी पत्नी डॉ. शोभा सिकरवार भी पार्षद रह चुकी हैं। वही डॉ. सतीश सिकरवार वर्ष 2018 में भाजपा से ग्वालियर पूर्व से चुनाव लड़े थे। जिसमें उन्हें कांग्रेस के मुन्नालाल गोयल ने लगभग 20 हजार मतों से पराजित किया था।