भोपाल। भोपाल के एक निजी अस्पताल में डॉक्टर चार साल की बच्ची के दिल में छेद को बंद करने में जुटे थे। जिस डिवाइस से दिल के छेद को बंद कर रहे थे अनस्क्रू करते वक्त वह डिवाइस दिल में ही छूट गई। अचानक इस घटनाक्रम के बाद डॉक्टर टेंशन में आ गए। ऐसे मामलों में मरीज के हार्ट की सर्जरी कर डिवाइस वापस निकाली जाती है लेकिन ह्रदयरोग विशेषज्ञों ने ही डिवाइस को बिना सर्जरी किए दिल से निकालने की कोशिश की और चिमटी नुमा इंस्ट्रूमेंट से दिल के भीतर से डिवाइस निकाल ली।
जानकारी के मुताबिक भोपाल के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक त्रिपाठी और डॉ.सुमित भटनागर एक निजी अस्पताल में अम्ब्रेला शेप की बीएसडी डिवाइस से दिल के छेद को बंद कर रहे थे प्रोसिजर लगभग पूरा होने वाला था कि अनस्क्रू करते वक्त बीएसडी डिवाइस खुलकर दिल के दूसरे में पहुंच गई। डॉ. सुमित भटनागर और डॉ.त्रिपाठी ने बताया कि आमतौर पर डॉक्टर इतने छोटे बच्चे के हार्ट से डिवाइस निकालने का रिस्क नहीं लेते बल्कि सर्जरी टीम से ऑपरेशन कराया जाता है। लेकिन हम लोगों ने चिमटी नुमा स्नेयर से इस डिवाइस को बाहर निकाल लिया।
डॉ.विवेक त्रिपाठी ने बताया कि एक बार किसी मरीज की सर्जरी के दौरान यदि कोई डिवाइस छूट जाती है तो एक प्रकार का ड़र मन में बैठ जाता है और डॉक्टर दोबारा उस मरीज के साथ वही प्रक्रिया करने से बचते हैं। लेकिन हम लोगों ने डिवाइस निकालने के बाद एक दिन इस बच्चे की निगरानी की और दूसरा प्रोसिजर भी पूरा किया। पहला प्रोसिजर करने में डेढ़ घंटे का समय लगा था जबकि दूसरी बार दिल का छेद बंद करने में सिर्फ 20 मिनट लगे। ऐसे मामले पहले भी होते रहे हैं लेकिन चार साल के मरीज की बिना सर्जरी डिवाइस निकालने का काम भोपाल में पहली बार हुआ है।