श्योपुर। श्योपुर जिले में वर्ष 1908 में निर्मित वीरपुर, वर्ष 1910 में सिवनी जिले में निर्मित रुमल और 1913 में धार जिले में बने माही सहित प्रदेश के 27 बांधों की सरकार मरम्मत कराएगी। इन बांधों की दीवार में कहीं-कहीं दरार आ चुकी हैं या कहीं-कहीं मिट्टी धंस रही है। मरम्मत कार्य के लिए सरकार ने 551 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। अब जल संसाधन विभाग निविदा आमंत्रित करके काम शुरू कराएगा। वर्ष 2019 में गांधी सागर बांध से पानी के रिसाव और पिछले साल ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अतिवृष्टि के बाद सरकार बांधों की सुरक्षा को लेकर गंभीर हो गई है। प्रदेश में ज्यादातर बांध 35 साल पुराने हैं। जबकि, तीन बांधों (वीरपुर, रुमल और माही) को बने हुए सौ साल से अधिक हो चुके हैं। बांधों की मरम्मत की जरूरत को देखते हुए बारिश से पहले मरम्मत सहित अन्य विकास के काम की कार्ययोजना बनाई गई है।
इंदौर का देपालपुर और चोरल, सागर का चंदिया नाला, मंसूरवारी और राजघाट, खंडवा का भगवंत सागर, मंदसौर का गांधी सागर, काका साहेब गाडगिल सागर और रेताम, भोपाल का कलियासोत, केरवा और हथाईखेड़ा, बैतूल जिले का चंदोरा, नर्मदापुरम का डोकरीखेड़ा, सीधी का कंचन टैंक, शिवपुरी का कुडा, टीकमगढ़ का वीर सागर और नंदनवाड़ा, मंडला का मटियारी, आगर मालवा का पोपलिया कुमार, धार का सकल्दा, रतलाम का रुपनियाखाल, शाजापुर का तिल्लार और कटनी का बोहरीबंद बांध।
बांधों की वर्तमान स्थिति पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी आपत्ति की थी और सरकार को मरम्मत कराने की सलाह दी थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि मंदसौर जिले में चंबल नदी पर बना गांधी सागर बांध कमजोर हो गया है। बांध के डाउन स्ट्रीम में गहरे गड्ढे हो गए हैं। वर्ष 2019 में इस बांध से पानी का रिसाव भी ज्यादा हुआ था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि बांध की सुरक्षा को लेकर बांध सुरक्षा निरीक्षण पैनल (डीएसआइपी), केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने 12 साल पहले जो सिफारिश की थी, वह पूरी नहीं की गईं।