बालाघाट। सरकार की रोक के बाद भी जिले के सार्वजनिक वितरण प्रणाली से अमानक चावल का वितरण बंद नहीं हो पाया है। जानवरों के खाने लायक चावल न होने के बाद भी इसके वितरण पर अभी तक पूर्णत: रोक नहीं लग पाई है। जिले के अनेक सोसायटियों से इस अमानक चावल का अब भी वितरण किया जा रहा है। ताजा मामला परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत रोशना की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सोसायटी का सामने आया है। जहां पर परसवाड़ा के पूर्व विधायक मधु भगत ने चावल को देखा तो वह खुद अचंभित रह गए। दुकान से गरीबों को जो चावल दिया जा रहा था वह काफी घटिया किस्म का था जिसमें फफूंद और इल्लियां लगी हुई थी। वही गरीबों को बांटा जा रहा था। वहीं पूर्व विधायक भगत ने इस चावल को गाय को खिलाने का प्रयास किया, जिसे सुंघ कर गाय ने भी खाना पसंद नहीं किया। जिस पर पूर्व विधायक भगत ने इसकी सूचना तत्काल कलेक्टर दीपक आर्य को दी और चावल वितरण में रोक लगाने की बात कही। इधर, केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था कि बालाघाट की राशन दुकानों में गरीबों को जिस चावल का वितरण किया जा रहा है, वह काफी घटिया और निम्न स्तर का है, जो मनुष्य के खाने लायक नहीं है। मामले के तूल पकड़ने के बाद कलेक्टर के आदेश पर राइस मिलों के गोदामों को सील कर दिया गया है।
वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसमें जांच के आदेश देते हुए पूरे मामले को ईओडब्ल्यू को सौंपा दिया है। ईओडब्ल्यू की टीम ने बालाघाट पहुंचकर जांच भी प्रारंभ कर दी है। हालांकि, इसके पूर्व जिला स्तर पर सीएसपी बालाघाट के नेतृत्तव में चार सदस्यीय टीम का गठन किया गया था। जिसमें सीएसपी के अलावा तीन थाना प्रभारियों को भी शामिल किया गया है। पुलिस अधिकारियों की इस टीम द्वारा मिलर्स से दस्तावेजों को लेकर जांच की जा रही थी। लेकिन अब इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू के द्वारा की जाएगी। इन मिलर्स के खिलाफ दर्ज होगी एफआइआर प्रदेश सरकार ने अमानक चावल की सप्लाई किए जाने के मामले में जिले के मिलर्स के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए है। हालांकि, अभी तक किसी भी मिलर्स के खिलाफ एफआइआर दर्ज नहीं हो पाई है। इस मामले में अभी पुलिस जांच कर रही है। जांच के बाद ही इस मामले में मिलर्स के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जाएगी।