भोपाल। भोपाल के सूखीसेवनिया इलाके में कूलर के करंट ने आंगनवाड़ी सहायिका कांता अहिरवार (29) की जान ले ली। चोपड़ाकला गांव की कांता 4 महीने के गर्भ से थीं। सोमवार शाम 4 बजे वह ड्यूटी से लौटीं और घर के बरामदे में कपड़े धोने लगीं। पास ही रखे कूलर में करंट आ रहा था। हाथ टच होने पर वह 5 फीट दूर फिंकी। पति तुमनलाल अहिरवार हमीदिया लेकर आए, लेकिन तब तक उन्होंने दम तोड़ दिया। मेटल बॉडी के कूलर में करंट आ रहा था, इसकी जानकारी कांता को थी, लेकिन धोखे में उनके साथ हादसा हो गया। मेटल कूलर में करंट का खतरा रहता ही है, लेकिन यह खतरा टाला भी जा सकता था। जानिए, क्या सावधानी बरतना चाहिए
कूलर में पानी डालने से पहले स्विच ऑफ कर प्लग बाहर निकाल दें। प्लास्टिक या फाइबर कूलर में भी करंट आ सकता है। लोहे के कूलर से पानी फीटिंग को सीधा नहीं जोड़ें। नहीं तो, पानी की पाइप लाइन में करंट आ सकता है। कभी भी चालू कूलर पर गीले कपड़े से पोंछा नहीं लगाएं। इलेक्ट्रीशियन से चेक करवाएं। टेस्टर की मदद से कूलर की अर्थिंग या करंट की जानकारी के बाद उसे ठीक करवाएं। कूलर में करंट न आए, इसके लिए कूलर में अर्थिंग का होना बेहद जरूरी है। साथ ही कूलर की बॉडी को भी अर्थ किया जाना जरूरी होता है। कूलर में कभी-कभी दो पिन वाला प्लग लगा दिया जाता है, इस वजह से ग्राउंडिंग के लिए कोई कनेक्शन नहीं रहता है। इस वजह से भी कूलर में करंट आने लगता है।
लगभग सभी इलेक्ट्रिकल अप्लाइंस में तीन पिन वाले प्लग का इस्तेमाल करना चाहिए। इस प्लग में जो सबसे मोटा पॉइंट होता है, वो अर्थिंग के लिए होता है, इसका कनेक्ट होना बेहद जरूरी होता है। जिन कूलर को प्रॉपर अर्थिंग के साथ कनेक्ट किया जाता है उनमें करंट नहीं आता है। करंट आते ही वायरिंग में फॉल्ट मार देगा। सॉकेट और स्विच इतनी ऊंचाई पर हों कि बच्चे नहीं पहुंचे पाएं। कई घटनाएं सॉकेट और स्विच नीचे होने की वजह से हो जाती हैं। बच्चे स्विच में अंगुली या लोहे के उपकरण डालकर खेलने की जानलेवा कोशिश करते हैं। गीले हाथों से कभी भी कूलर, स्विच न छुएं। नंगे पैर भी किसी उपकरण को यूज न करें। पैर में जूते-चप्पल होने से भी करंट के बड़े झटके से बचा जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना कि पैर में जूते-चप्पल होने से फेस करंट अर्थ नहीं पाता। इससे झटका कम लगता है।