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Sunday, November 17, 2024

MP पंचायत चुनाव को लेकर ये बड़ी खबर

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भोपाल। मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायतों के परिसीमन का काम पूरा हो गया है। पंचायतों की संख्या 22 हजार 699 से बढ़ाकर 22 हजार 985 हो गई है। दो हजार वार्ड बढ़ गए हैं। अब पंचायत चुनाव के लिए 25 अप्रैल तक मतदाता सूची तैयार होगी। वहीं, सरकार पंचायतों का आरक्षण करेगी। इसके लिए अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या सहित अन्य जानकारियां राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने जुटा ली है। इसका परीक्षण करके प्रतिवेदन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपा जाएगा, जिसके आधार पर आरक्षण तय होगा। प्रदेश में वर्ष 2014 के बाद से पंचायत चुनाव नहीं हुए हैं। कमल नाथ सरकार में परिसीमन कराया गया था लेकिन चुनाव नहीं हो पाए थे। सत्ता परिवर्तन के बाद शिवराज सरकार ने 2019-20 में कराए गए परिसीमन को मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश के माध्यम से निरस्त करके पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को नए सिरे से परिसीमन करने के निर्देश दिए थे।

 

 

इस परिसीमन में रोटेशन का पालन नहीं किया गया। प्रकरण सुप्रीम कोर्ट तक गया और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित स्थानों को अनारक्षित श्रेणी में अधिसूचित करते हुए चुनाव कराने के आदेश दिए गए। सरकार इसके लिए प्रक्रिया करने तैयार नहीं हुई और अंतत: राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम निरस्त कर दिया। इसके साथ ही पंचायतों का परिसीमन नए सिरे से करने के आदेश दिए थे।

 

 

 

इसके अनुसार पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने परिसीमन करा लिया है। उधर, राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कराने के लिए एक जनवरी 2022 की स्थिति में मतदाता सूची तैयार कराना प्रारंभ कर दिया है। आयोग के सचिव बीएस जामौद ने बताया कि 16 अप्रैल तक दावे-आपत्ति आमंत्रित किए गए हैं। इनका निराकरण करते हुए 25 अप्रैल को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। आरक्षण की प्रक्रिया शासन के स्तर से होगी। इसके लिए पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के प्रतिवेदन की प्रतीक्षा की जा रही है। मुख्यमंत्री विधानसभा में स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार पंचायत चुनाव अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ ही कराएगी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित जो जानकारी एकत्र करने के आदेश दिए थे, वो सभी जिलों में कलेक्टरों के माध्यम से सर्वे कराकर आयोग को दी है। आयोग ने भी अपने स्तर पर पिछड़ा वर्ग के शैक्षणिक, आर्थिक और स्थानीय निकायों में प्रतिनिधित्व की जानकारी एकत्र की है। इसके आधार पर प्रतिवेदन तैयार सरकार को सौंपा जाएगा।

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