भोपाल।मध्य प्रदेश में कृषि निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार गेहूं के निर्यातकों को मंडी शुल्क में छूट देगी। अभी सौ रुपये की उपज खरीदने पर डेढ़ रुपये शुल्क देना होता है। इस राशि की प्रतिपूर्ति सरकार द्वारा निर्यातक को की जाएगी। यह सुविधा एक अप्रैल 2022 से 30 जून 2022 तक किसानों से खरीदे गए गेहूं में से 31 मार्च 2023 तक निर्यात की मात्रा पर मिलेगी। निर्यातक का मंडी बोर्ड में पंजीकृत होना अनिवार्य होगा। वो जो भी उपज खरीदेगा, उसे ई-अनुज्ञा पोर्टल पर दर्ज कराना होगा। मंडी शुल्क की प्रतिपूर्ति के लिए निर्यात करने के बाद 60 दिवस के भीतर संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने पर प्रतिपूर्ति की जाएगी।
विदेश में गेहूं की बढ़ती मांग को अवसर के रूप में लेते हुए प्रदेश सरकार ने निर्यातकों को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दो बार केंद्रीय मंत्रियों और निर्यातकों के साथ बैठक कर चुके हैं। इसमें यह प्रविधान किया गया है कि मंडी शुल्क से छूट केवल मध्य प्रदेश से खरीदे गए गेहूं पर मिलेगी। इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो, इसके लिए निर्यातक का मंडी बोर्ड में न सिर्फ पंजीकृत होना अनिवार्य किया गया है बल्कि उसे ई-अनुज्ञा पोर्टल पर उपज की मात्रा अपने खाते में दर्ज करनी होगी।
निर्यातक पहले मंडी शुल्क का भुगतान संबंधित कृषि उपज मंडी में करेगा और फिर उसकी प्रतिपूर्ति के लिए निर्यात करने के बाद 60 दिन के भीतर आवेदन देगा। आवेदन का निराकरण तीस दिन के भीतर किया जाएगा। यदि निर्यात को लेकर जो दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं, उनमें कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो मंडी अधिनियम के तहत लायसेंस निरस्त करने के साथ प्रतिपूर्ति की राशि 24 प्रतिशत ब्याज सहित वसूली जाएगी।