जबलपुर। हाई कोर्ट में ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 27 प्रतिशत किए जाने को चुनौती देने वाली सभी 61 याचिकाओं की सुनवाई आगे बढ़ा दी गई है। राज्य शासन ने सॉलिसिटर जनरल की बहस के लिए समय ले लिया। वहीं हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से स्वेच्छा से डाटा प्रस्तुत करने की व्यवस्था दे दी। बुधवार को प्रशासनिक न्यायाधीश शील लागू व जस्टिस मनिन्दर सिंह भट्टी की युगलपीठ में अंतिम स्तर की सुनवाई को गति दी गई।
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश के जरिये कुछ मामलों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर रोक लगाई है। आशिता दुबे व अन्य की ओर से 2019 में याचिका दायर की गई थी। मध्य प्रदेश शासन की ओर से नियुक्त विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह ने बताया कि इस मामले में राज्य सरकार ने अभी तक हाई कोर्ट में क्वान्टिफिएबल डेटा, ग्यारह मापदंडों पर आधारित मात्रात्मक डेटा दाखिल नहीं किए गए हैं,जो कि आरक्षण को जस्टीफाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के परिपालन में अति आवश्यक हैं।
अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को अवगत कराया कि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी के प्रकरण में स्पष्ट दिशा निर्देश हैं। किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27 और ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत मिलाकर कुल आरक्षण 73 प्रतिशत हो रहा है।